नमस्कार दोस्तो, मैं यूपी का रहने वाला और नौकरी की वजह से गुजरात आ गया। ये कहानी मेरे पुराने भविष्य के मकान की है।
चलिए अब कहानी पर आते हैं।
ये कहानी 10 साल पहले की है जब मेरी कंपनी से मुझे जॉब इंटरव्यू के लिए अहमदाबाद बुलाया था और अगर इंटरव्यू सफल हो जाता तो उसके वीक में ज्वाइनिंग के लिए भी बोल दिया था। अब एक हफ्ते के लिए होटल में रहना तो संभव नहीं था। इसलिए मैंने एक सप्ताह के लिए ऑनलाइन किराए पर मकान ढूंढना शुरू किया। तब मुझे एक ऑनलाइन साइट पर वर्तमान मालिक मिला। मेरी उससे बात हुई और वो एक महीने के लिए सस्ते में रूम देने के लिए माँगा था।
आख़िर वो पल आ ही गया जब मैं उनके घर पहुंचा, छोटी पटेल फैमिली थी। मेरे बेल बजाने पर एक महिला ने दरवाजा खोला। वो दिखने में मुझे कुछ खास नहीं था पर फिगर कमल का था। मुझे बाद में पता चला कि वो मेरा मकान मालकिन है। मैंने उन्हें अपना परिचय दिया तो वो झट से समझ गई और गुजराती में अपने पति को बुलाया (जो उस समय पे मुझे बिल्कुल समझ नहीं आती थी)।
उनका घर काफी बड़ा था और मकान मालिक का खुद का बिजनेस था। रेखा (मलिक की पत्नी) का फिगर एकदम गुड़िया के आकार का था। और उसकी सास (सुनीता) यानी कि आकाश की मां (मकान मालिक का नाम आकाश था) वो क्या कमाल की माल थी। 55 साल की उम्र में भी सिर्फ 45 की लगती थी. शायद मुझे बड़ी औरतें ज़्यादा पसंद हैं, इसीलिये। तो आकाश ने मुझे अपना घर दिखाया और मेरा कमरा पहली मंजिल पर था, जिसकी सिधिया अंदर और बाहर दोनो साइड से थी।
कमरे में कुछ ज्यादा सामान नहीं था. बस एक बिस्तर और पंखा. मैंने अपना सामान रखा और आकाश ने मुझे अलविदा कहा। मैंने बहुत सारा मकान मालकिन सेक्स वाली कहानी पढ़ी थी पर मुझे नहीं लगा मेरे साथ भी कुछ ऐसा होगा कि मेरी जिंदगी की भूल ही हो जाएगी। उस समय पर ये सब ना सोचते हुए मैं अपने अगले दिन के इंटरव्यू के लिए तैयारी करने लगा। उस रात पटेल परिवार के साथ ही खाया और सो गया।
अगले दिन सुबह जब तैयार हुआ और आला आया तो सुनीता ने मुझे प्रसाद दिया और शुभकामनाएं दीं। मेरा तो जैसा दिन बन गया हो इतनी सेक्सी स्माइल देख कर। इंटरव्यू देने गया और पूरे दिन में 3 राउंड रंग। रिजल्ट तो बताया नई पर बोला कि कल तक रिजल्ट के संबंध में कॉल आ जाएगा।
अब मैं टेंशन से भरा हुआ वापस रिक्शा में बैठ गया और घर पहुंच गया। वाहा घर पर रेखा अकेली थी. माई ऊपर जाने लगा तो रेखा ने मुझे बुलाया और बेथने को बोला। उसने शायद मेरे चेहरे पर टेंशन देख ली थी और वो मुझे समझने लगी कि ये तो सब होता रहता है।
वो भी नौकरी करती थी पर घर संभालने के चक्कर में नौकरी छोड़नी पड़ी थी। हमने थोड़ी यहां वाह की बात की तो मेरा मूड एकदम मस्त हो गया। रेखा दिखे में भले अप्सरा ना हो पर बातों से किसी का भी दिल बस में कर सकती थी।
मुझे मजा आने लगी रेखा की कंपनी में। तब तक सुनीता आ गई और वो बैठ गई। रेखा खाना बनाने में बिजी हो गई और मेरा मस्त मूड हो गया, सुनीता के साथ फ्लर्टिंग करने लगी। वो 55 की थी पर एकदम मस्त सेक्सी फिगर मेंटेन कर रखा था। मैंने वही बैठकर उसकी फिगर की तारीफ कर दी और उस समय उसने कुछ नहीं बोला। मुझे लगा शायद बुरा मान गई तो मैंने टॉपिक रेखा की तरफ मोड़ दिया की, "भाभी खाना बन जाए तो बुला लीजिएगा" और मैं हाथ में कमरे में चला गया।
वही रूम में पड़े पड़े मेरे दिमाग में सुनीता के सेक्सी ख्याल आने लगे और मेरा लंड एकदम से तंबू बना के खड़ा हो गया। क्योंकि मुझे आदत नहीं थी रूम बंद करके रहने की, इसलिए मेरे रूम का दरवाजा खुला ही था और मैं सुनीता को याद करते हुए सिर्फ चड्ढी में था। मेरा हाथ अपने लंड को सहला रहा था और ऊपर से चढ़ गया और तभी मुझे एक परछाई दिखी। सुनीता दरवाजे पे खड़ी थी. वो मुझे खाने के लिए बुलाने आई थी पर उसने कुछ नहीं बोला और सिर्फ खड़ी रही। पता नहीं मुझे क्या सूझा. माई भी बस यूज़ इग्नोर करते हुए सहलता रहा। कुछ सेकंड के बाद उसने दरवाजा खटखटाया और मैंने नाटक किया की, "आप कब आये?"
सुनीता शायद वही पट गई थी। पर उसने थोड़ा गुस्से से मुझे मोड़ा और मुझसे बोला, "खाने आ जाओ।" और बिना कुछ कहे चली गई. मैंने सच्ची में खुद को कोसा और सोचा की, 'कश मैं ऐसा ना करता।' कुछ झिझक के साथ नीचे गया खाने तो सुनीता सामने बेटी थी और आकाश अभी तक नई आया था।
मैंने कमरे की अजीबता हटाने के लिए रेखा से आकाश के बारे में पूछा और मुझे पता चला कि आकाश 5 दिन के लिए सूरत गया हुआ था। ये जान के मुझे थोड़ी शांति हुई। फिर टीवी पर कोई फिल्म चल रही थी और हमने थोड़ी यहां बात की। सुनीता मुझे इग्नोर कर रही थी पर रेखा मुझसे काफी फ्रेंडली लग रही थी। उसने मुझसे अगले दिन कुछ सब्जी लेने के लिए बोला और मुझे आकाश के बाइक की चाभी भी दी।
मैं निकलने ही वाला था कि रेखा ने बोला वो भी चलेगी और यहां से शुरू हुई मेरी और रेखा की कहानी। मुझे बाइक चलानी अच्छे से नहीं आती थी। रेखा ने एक सलवार कमीज़ डाली थी और वो मेरी गर्लफ्रेंड की तरह मुझे कमर से पकड़ के बैठ गई। मुझे तो जैसा मजा ही आ गया। माई पूरा रास्ता उसके स्तनों को अपनी पीठ पर स्पर्श करवाता है और वो भी कुछ खास विरोध नहीं कर रही थी।
सब्जिया लेने के बाद रेखा ने मुझे एक फुलके की लारी पे रुकने के लिए बोला। माई आज तक पानी पूरी बोलना भूल जाता हूं। मुझे फुलके कुछ इतना खास पसंद नहीं, पर उसने मुझे एक फुलका जबरदस्ती अपने हाथ से खिलाया और तब थोड़ा सा पानी, उसकी कमी पर गिर गया। साफ करने के चक्कर में मेरी कोहनी उसके स्तनों पर टच हो गई और उसने मजे से आउच किया।
हम पूरी तरह से गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड की तरह चिपक के वापस आ रहे हैं। वो रास्ता बताने के बहाने मुझसे चिपकी रही और मैं उसपे लाइन मारता रहा। घर आने से पहले उसने मेरे कान में बोला गुजराती में, "आज रात कुछ स्पेशल करेंगे।" मुझे उस टाइम पे तो कुछ समझ नहीं आया और मेरे पूछने का टाइम भी नहीं था क्योंकि हम घर पहुंच गए।