Friday, 10 January 2025

पापा और विधवा बहन भाग 1

 हेलो दोस्तों, मैं राहुल अपने मम्मी-पापा के साथ शहर रहता हूं। बात तब की है जब मैं सिर्फ 19 साल का था। मेरे पापा सुरेश (49) जो सरकारी विभाग में रेलवे की अच्छी पोस्ट पर थे, और मम्मी शीतल (45) गाँव की गृहिणी थीं। मम्मी नाना-नानी की तबीयत के कारण वहीं रुक गई थी गांव। फिर एक दिन अचानक लॉकडाउन लग गया।


लॉकडाउन की वजह से मुझे और पापा को खाना-पीना और नौकरी/कॉलेज में काफी दिक्कत आ रही थी। तो मेरी मम्मी ने सोचा क्यों नहीं हमारी मदद के लिए किसी को घर रख दे। अपनी चचेरी बहन की विधवा बेटी को हमारे घर भेजने के लिए। उनका नाम सुमन था. वो 35 साल की थी, और उनके 2 छोटे बच्चे थे टिंकू और मिंकू।


कुछ ही माहीन पहले उनके पति की समय सीमा समाप्त हो गई। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए मम्मी ने सोचा कि उनके बच्चों की पढ़ाई का खर्चा तब तक पापा दे देंगे, और उनको रहना, और खाना-पीना मिल जाएगा हमारी देख-भाल करते-करते।


कुछ दिन तो सब ठीक रहेगा। वो सुबह उठ के पापा को चाय देती, और उनके कपड़े प्रेस करके रख देती, और खाना बना देती। मेरे पापा काफ़ी ख़ुश थे सुमन से। वो भी शाम को आ कर सुमन दीदी के बच्चों को पढ़ाते और हमारे साथ पार्क जाते क्रिकेट खेलने। सुमन भी अपने बच्चों को फिर से खुशी से खेलकर देख खुश थी।


पापा रोज़ सुबह उठ के रनिंग पर जाते, और उनके आने से पहले ही सुमन उनके लिए चाय बना के रखती। पापा चाय को पीते ही सुमन से बोलते हैं कि राहुल की मम्मी से भी अच्छी चाय बनती हो तुम सुमन। फ़िर वो सुमन के बच्चों को अपने साथ ही बुलाते हैं।


पापा की काफी बालों वाली बॉडी है, और हाइट भी 5'11'' है, और काफी फिट भी मेंटेन रहते हैं। जब भी पापा सुमन के बच्चों को बुलाते थे, तो सुमन पापा को देखती रहती थी। पापा अपने गीले बदन और बालों में फ्रेंची पहने हुए होते। पापा भी सुमन को देखो. के लिए मुस्कुराया.


फ़िर टिंकू बोला: अंकल आपकी चड्ढी में कुछ बड़ा-बड़ा चल गया क्या।


क्योंकि पापा का खड़ा हो जाता था सुमन को देख के। फिर रात को भी पापा और हम सब छत पर सो जाते, क्योंकि अच्छी हवा चलती थी। बच्चों को आदत हो गई थी पापा की कहानियों की। वो हमेशा मेरे पापा के साथ सोने की जिद करते थे। सबसे अंत में मैं सोता, फिर टिंकू, और फिर पापा, मिंकू और सुमन।


ऐसे ही जल्दबाजी-खेलते 21 दिन बीत गए पहला लॉकडाउन के। फ़िर असली कहानी तब शुरू हुई जब लॉकडाउन और विस्तार कर दिया गया कुछ महीनों के लिए। उधर गाँव में नाना-नानी की तबीयत के लिए मम्मी शहर को नहीं आ सकती थी, और इधर सब लॉकडाउन की वजह से कॉलेज/ऑफिस सब ऑनलाइन घर से होने लगे।


लेकिन पापा और मेरा खाना-पीना, और कपड़े-सफाई वागैरा सब अच्छे से चल रहा था। हमको फ़र्क नहीं पड़ रहा था मम्मी के गाँव में फ़सने से। पापा काफ़ी फ्रैंक हो गए थे सुमन और उसके बच्चों से। इतना खुलकर कि अब नहाते, धोते, खाते पीते अब शीतल की जगह सुमन-सुमन बोलते। अब तो सारे आम फ्रेंची में ही रहते हैं घर दिन भर। रात को भी फ्रेंची में ही सोते छत पर मेरे, सुमन, और बच्चों के साथ।


सुमन भी छोटी नाइटी में ही रहती दिन भर। फिर एक दिन पंचायत में बुजुर्ग लोगों ने घर पर आ कर तूफानी बात कर दी। उन्हें पापा और सुमन ने कहा कि “सरकार ने लॉकडाउन और कोविड मृत्यु दर को देख के बोला है, कि जिस औरत ने अपना पति खोया हो। उसको तभी किसी अंजान के घर रहने को मिल सकता है, जब हमारे घर का आदमी उस विधवा को स्वीकार कर शादी करे, और उसके बच्चों को अपनाए, और साथ ही 5 साल के अंदर 2 बच्चे और भुगतान करे हमें विधवा के साथ। ताकी उस विधवा को भी कानून अधिकार हो उस मर्द पर। फिर चाहे वो आदमी पहले से शादीशुदा हो और बाल बच्चों वाला ही क्यों ना हो।”


बात तो अटपति थी, लेकिन सरकार के अपने उद्देश्य थे। जनसंख्या को भी तो बढ़ाना था, जो कोविड के चलते काम हो गई थी। बुज़ुर्गों के जाते ही पापा और सुमन ने सुमन के माँ-बाप से और मेरी मम्मी को ये सब बताया। अब मम्मी बेचारी कह भी क्या सकती थी। सुमन के माँ-बाप की तो लॉटरी लग गई थी जैसी। उनको अपनी गरीब विधवा बेटी के लिए पढ़ा लिखा, और शादी-शुदा नौकरी पेशा वाला आदमी जो मिल गया था, जिसकी बीवी-बच्चों को कोई ऐतराज नहीं था।

मम्मी ने कहा कि अपने पति और बच्चे का ख्याल रखने के लिए सुमन को भी समाज में अच्छी नजर से देखने के लिए, ये कदम उठाना पड़ेगा। बस फिर क्या था, पापा और सुमन दोनों ही अंदर-अंदर से खुश थे, और पापा ने सुमन की तरफ देख के पूछा, क्या वो भी सब की बात से सहमत थी? सुमन शर्मा गई, और पापा ने सुमन को गले लगा लिया।


उधर टिंकू और मिंकू पूछने लगे कि भैया मम्मी और अंकल गले क्यों लग रहे हैं। तो मैंने उन दोनों को समझा कि अब मेरे पापा उनके भी पापा बन गए थे, और वो उनको अंकल नहीं पापा बोलेंगे। वो दोनों बहुत खुश हुए, और घर में पापा-पापा का शोर मचाने लगे।


शाम तक शादी की पूरी तैयारी हो गई थी, और सब अच्छे से हो गया घर ही घर में। फिर पापा ने मुझे बुलाया कि सुमन के साथ वो नीचे वाले कमरे में सोएंगे। तो मैं बच्चों को ऊपर अपने साथ ही सुला लू कुछ हफ्ते।


सुमन पापा के रात के कपड़े लेके, दूध के गिलास के साथ उनके कमरे में चली गई। फिर वो रूम बंद कर दी. पापा शर्ट और पायजामा में, और सुमन सूट सलवार में। वो पापा के पास बैठी, और उनको दूध का गिलास दे दी। पापा ने भी गिलास से आधा दूध पी कर सुमन को दूध पिलाया। फिर पापा ने सुमन का हाथ पकड़ कर अपनी जांघों पर रखा, और बोले-


पापा: सुमन, इतने हफ़्तों से तुम मेरा और मेरे बेटे का खूब अच्छे से ख्याल रख रही हो, बिना कुछ मांगे। तो अब मेरा भी फ़र्ज़ है कि तुम्हारे समाज में इज़्ज़त न उछाले दूं।


सुमन ने इतना सुन के पापा की और देखा और दोनों ने एक-दूसरे के लिए प्यार चुना।


पापा ने बोला: सुमन मैंने 2 महीने से सेक्स नहीं किया।


सुमन भी बोली: पति खत्म होने के 6 महीने बाद अब तक मैंने भी सेक्स नहीं किया।


फिर क्या था, पापा सुमन के ऊपर आ गए, और उसके स्तन दबा के होंठ चूमने लगे। सुमन ने भी अपने दोनों हाथों से पापा के बालों को सहलाया, और अपने जीब पापा के मुंह में डालने लगी। दोनों के कमरे से चुम्मा-चाटी की आवाज आ रही थी। फिर पापा ने सुमन का सूट खोला, और उसकी पजामी का भी नाडा खोल दिया।


अब सुमन सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। पापा ने सुमन की बगिया पर किस किया, और उसको अपने ऊपर ले आये। सुमन भी अब पापा की शर्ट के बटन खोल रही थी। डोनो बेड पर बैठ गए, और अलिंगन करके एक-दूसरे की शर्ट और ब्रा खोल दिए। पापा ने सुमन के टाइट-टाइट स्तन देख के उनको चुनना शुरू किया, और सुमन लम्बी-लम्बी सिसकियाँ लेने लगी।


पापा बोले कि राहुल की माँ तो कब से सेक्स नहीं करती उनको। और सुमन नवविवाहित की तरह टाइट स्तन वाली थी। सुमन ने भी पापा को लिटा के उनकी बालों वाली छाती को चूमना शुरू किया। वो बोली कि उसके पति ज्यादा सेक्स नहीं करते थे। वो शराबी थे, और जल्दी झड़ जाते थे। सुमन पापा के बालों वाले पालतू जानवर को चूमो। उनके होंठ, आंखें, गर्दन और निपल्स सब जगह सुमन की लिपस्टिक के निशान थे।


फिर पापा ने सुमन की पैंटी के अंदर हाथ डाला, और उसको मसलने लगे। वो काफी एक्साइटेड हो गई थी। उसने पापा को गले लगाया, और मेरे पापा के पजामे में हाथ डाल दी। काफ़ी अच्छा लग रहा था कि पापा के गरम-गरम बदन को छूने में। फिर वो पायजामा खोलने लगी. उसने अपनी टांगों से पापा के पजामे को नीचे कर दिया, और अब पापा और सुमन सिर्फ अंडरवियर में थे।


काफ़ी देर सेक्स के बाद पापा ने 4 बारी सुमन की चूत के अंदर अपना वीर्य डाल दिया, और उसके ऊपर ही सो गए। सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैंने जो देखा उस पर विश्वास नहीं हुआ। मेरे ऋषि पापा अब मम्मी के अलावा दूसरी किसी छोटी लड़की के नीचे लेटे हुए थे पूरे नंगे। और चादर से पापा और सुमन के प्यार के रस की महक आ रही थी।


फिर मैं चुप-चाप वापस जाके सो गया। सुबह बच्चों के शोर ने मुझे उठा दिया। बच्चे अब मेरे पापा को अपने पापा बोल के उनके साथ खेल कूद कर रहे थे, और पापा भी उनको ज्यादा प्यार करने लगे। पापा उनको नहलाते वक्त अब और भी ओपन हो गए। सुमन बात-बात पर पापा के ऊपर अब हक जाने लगी।

फिर लंच के बाद जब बच्चे सो रहे थे, तो सुमन पापा के पास आई, और उनको ऊपर वाले कमरे में ले गई। फिर उनका गेट शाम तक ही खुला। पापा की एनर्जी बहुत कम दिखने लगी थी कुछ दिन। सुमन ने मुझे बोला कि पापा को अब एनर्जी की ज़रूरत है, तो मैं उनके लिए ड्राईफ्रूट्स ले आउ।


मैं वो सब ड्राईफ्रूट लेके आया। सुमन ने उन ड्राईफ्रूट्स और देसी घी के लड्डू बनाए, और पापा को रोज 2-4 खिलाने लगी। जब भी मैं वॉशिंग मशीन में पापा के कपड़े धोता था, तो देखता था कि उनके पजामे में और अंडरवियर में उनके वीर्य के गंदे-गधे निशान होने लग गए थे। रोज़ हाय सुमन और पापा की चादरें ढुलने में आती थीं।

अगले भाग में जारी रहेगा.