Friday, 24 January 2025

माँ और पड़ोसी अंकल का प्रेम-1

 सभी को नमस्कार, काफ़ी दिन बाद मैं फिर से हाज़िर हूँ आपके बीच एक नई सेक्स कहानी के साथ। क्या सेक्स कहानी की मुख्य कलाकार हैं मेरी मां वंदना और मेरा पड़ोसी अमर।


सबसे पहले मैं अपनी मां का परिचय दे दूं। तो 46 साल की एक कामुक महिला है, और 34-36-40 की एक कातिलाना हुस्न की मालकिन है। वहीं अमर अंकल की उम्र लगभग 55 साल होगी, और उनकी बीवी की मौत पहले ही हो चुकी थी, और उनके बेटे दूसरे शहर में रहते हैं।


ये बात कुछ साल पहले की है, जब अमर अंकल ने हमारे घर के बस बगल में घर बनाया था, और फिर वो यहां शिफ्ट हुए थे। हमारा घर एक तरफ है, एक दम आखिरी में है, और हम दोनों के घर ऐसे बने हैं कि कोई भी एक के छत से दूसरे के घर जा सकता है।


1 साल तक तो हमारे बीच कोई इंटरेक्शन नहीं था। फिर मैं कॉलेज पढ़ने चला गया, और वहीं हॉस्टल में रहने लगा। अब माँ घर में अकेली ही रहती थी, क्योंकि पापा भी अपनी नौकरी की वजह से ज्यादातर बाहर ही रहते थे।


एक बार मैं हॉस्टल से माँ को बिना बताए घर आ गया। फिर जब मैं अपने घर में गया, तो देखा कि माँ वहाँ नहीं थी। मैंने 5-10 मिनट इंतजार किया, और फिर सोचा कि मार्केट खत्म हो गई है। पर फिर ख्याल आया कि मां ने मुझे फोन पर बताया था कि मां अमर अंकल को भी खाना हमारे घर से बना कर दे देती थी।


मैंने उनके फ़ोन पर कॉल किया, पर माँ ने कॉल पिक नहीं की। फिर मैं अमर अंकल के गेट पर पहुंच कर उनके गेट पर दस्तक देने लगा, और मां को आवाज देने लगा। करीब 5 मिनट बाद माँ अंदर से बाहर आयी। पर उनको देख कर ऐसा लग रहा था कि उनको जल्दी-बाजी में साड़ी पहननी थी। क्योंकि उनकी साड़ी उनके शरीर की एक तरफ थी, और उनका पेट और नाभि साफ दिख रहे थे। बाल भी खुले हुए थे.


माँ जल्दी-जल्दी चल कर गेट के पास आई और बोली: तू कब आया? कॉल कर लेता मुझे पहले।


मैं: अभी ही आया हूं मां मैं तो. पर तुम यहाँ क्यों थे?


माँ: तू तो जानता ही है कि अंकल जी अकेले रहते हैं। तो बस उनको खाना देने आई थी.


मैंने माँ की तरफ ध्यान से देखा तो उनके होठों के पास कम जैसा कुछ लगा हुआ था। मैं समझ गया कि वो क्या था, और फिर माँ से बोला-


मैं: मां आपके चेहरे पर कुछ लगा है।


माँ ने जल्दी-जल्दी अपने चेहरे को अपनी साड़ी से पोंछ लिया, और फिर बोली-


माँ: अंकल जी लस्सी लाये थे, तो मैंने वहीं पी ली। वहीं लगा होगा.


इतना बोलने के बाद माँ मेरे साथ हमारे घर में आ गई। मैंने उनको बता दिया कि मैं अभी 10 दिन यहीं रहूंगा, और फिर अपने कमरे में चला गया। मेरे दिमाग में वहीं सीन चल रहा था, और मैं पक्का था कि वो लस्सी तो नहीं थी।


अगले 10 दिन कुछ नहीं हुआ, और माँ मेरे साथ ही रही। दोपहर और रात में मैं अंकल को खाना दे आता। 10 दिन बाद मुझे जाना था, पर मैं कॉलेज में बहाना करके 1 दिन और रुक गया, और माँ से बोल दिया कि मैं कॉलेज में जा रहा हूँ।


कॉलेज ना जा कर मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया, और फिर रात हो गई। लगभाग 9 बजे मां ने बाहर का गेट बंद किया, और अंकल के घर की तरफ चल दी। मैं तुरंट अपनी छत से उनके छत पर गया, और फिर सीढ़ी पर बैठ गया। साड़ी लाइट बंद थी, और बस एक हॉल और एक कमरे की लाइट चालू थी।


हॉल में मां और अंकल दोनों खाना खा रहे थे, और फिर अंकल ने मां से पूछा-


अंकल: रितिक कॉलेज गया?


तो माँ ने हा में सर हिला दिया। मुझे लगा कि मैं बेकरार का ही शक कर रहा था उन दोनों पर, और फिर मैंने सोचा कि वापस अपना घर चलता हूं। लेकिन तभी-


माँ: आप खाना खा लीजिये, तब तक मैं नहा लेती हूँ।


ये सुन कर तो मैं हिल गया, क्या माँ यहाँ क्यों नहायेगी? ये बोलने के बाद मां अंकल के बेडरूम की तरफ गई, जैसे कि वो आम बात हो। माँ बेडरूम में बने बाथरूम में नहाने लगी, और फिर अंकल नंगे ही अपने कमरे की तरफ चल पड़े।


मेरी आँखों को जैसे यकीन ही नहीं हुआ, और मैं सीढ़ियों के पास बने उनके कमरे की खिड़की पर पहुँच गया। बाहर की साड़ी की लाइट बंद थी, और उस खिड़की से रात में अगर बाहर लाइट न हो, तो बाहर का कुछ भी नहीं दिखता, ऐसा ग्लास लगा था।

अंकल बिस्तर पर नंगे लेटते थे, और वहीं उनके पास एक लाल रंग का लहंगा चोली रखा था। थोड़ी देर बाद माँ ने बाथरूम का कमरा खोला, और फिर केवल अपने पेटीकोट से अपने स्तनों से लेकर घुटनों तक शरीर को ढक कर बाहर आई। अंकल ने लहंगे की तरफ इशारा किया तब-


माँ: क्यों पहचान रहे हो, जब उतारना ही है इसको?


माँ को ऐसे बोलते ही मेरा लंड भी खड़ा होने लगा।


अंकल: इतने दिन बाद आये हो, तो कुछ तो स्पेशल होना चाहिए, और कोन सा तू नंगी हो जाती है पूरी।


मां ये सुन कर थोड़ी परेशानी हुई, और लहंगा-चोली लेकर वापस बाथरूम में चली गई। तब तक अंकल का लंड भी लगभग 7 इंच का हो चुका था, और वो हमारे पर अपना हाथ माले जा रहे थे।


माँ वापस से बाहर आई, और कमरे की लाइट बंद कर दी। लाइट्स अंकल ने ऑन की और बोले-


अंकल: मुझे तुम्हारा चेहरा देख कर चोदने में मज़ा आता है। और कौन है यहां जो हमें देख लेगा?


इतना बोलने के बाद उन्हें लाइटें ऑन कर दी गईं, और फिर मैंने देखा उन्हें आगे से मां को जकड़ रखा था अपनी बाहों में। माँ ने भी अपना शरीर जैसा उनके लिए छोड़ दिया था। अंकल अपना हाथ पीछे से मां की गांड पर ले गए, और उसे दबाने लगे। फिर माँ को घुमा दिया, और खुद नीचे बैठ कर उनकी गांड पर लहंगे के ऊपर से किस करने लगे।


माँ अपने हाथ पीछे करके अंकल के बालों में घूम रही थी। फ़िर अंकल ने माँ की एक टांग को उठा कर वहीं रखा टेबल पर, और लहंगे को पीछे से उठा कर माँ के हाथों में दे दिया। फिर वो खुद माँ की दोनों गांड को चाटने लगे जीभ से, और फिर अपने दोनों हाथों से माँ के दोनों गांड के गालों को थोड़ा फेलाया। उसके बाद उनको गांड के बीच में अपनी जिह्वा लगा दी।


माँ इस कदम से बिल्कुल सिहर गई, और उनके मुँह से इश्स निकल गया। वो अपने हाथों से अंकल को मन करने लगी।


माँ: आआहह वो चाट कर फिर से मेरे मुँह में डाल देंगे आप।


इतना सुनते ही अंकल के चेहरे पर थोड़ी हंसी आ गई। उन्हें फिर मां की गांड से अपना चेहरा उठाना, और मां के सिर को हल्का सा टेढ़ा करके, मां के मुंह के अंदर डाल कर जिभ को चुनने लगे। माँ अपने हाथो को अंकल की नंगी छाती पर पटक कर उन्हें मन कर रही थी, और फिर वो भी उनका साथ देने लगी।


इसके आगे क्या हुआ, वो आपकी सेक्स कहानी के अगले हिस्से में पता चलेगा।