Tuesday, 3 December 2024

मेरी विधवा माँ की चुदाई

 मेरा नाम मनीष है, और मेरी उमर 24 साल है। दोस्तों, मैं पिछले कुछ समय से अपने जीवन की एक सच्ची घटना आप सब के साथ शेयर करना चाह रहा था, पर डर लगता था। आज बहुत हिम्मत करके मैं अपनी ये कहानी लिख रहा हूँ। ये कहानी मेरी माँ की है, जो एक विधवा औरत है। उनकी उम्र 39 साल के करीब है, पर उन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता कि वो इतनी उमर की हैं। वो जवान, हॉट और चुदाई के लिए परफेक्ट लगती है। हर कोई उन्हें देखकर उनके बारे में सोचने पर मजबूर हो जाता है।


मेरे पापा की मृत्यु तब ही हो गई थी, जब मैं बहुत छोटा था। तब से मेरी माँ अकेली रहने लगी थी। उन्हें एक सहारे की ज़रूरत थी. दोस्तों, मेरी माँ का एक पुराना आशिक था, जो मेरे नानी के घर के पास रहता था। उसके दो लड़के मेरे ही उमर के थे। पापा के गुज़रने के कुछ साल बाद मेरी माँ की एक अच्छी सहेली ने उन्हें बताया कि एक कपड़े की सिलाई का कोर्स है, जिसके वो घर बैठ कर पैसे कमा सकती हैं और उनका मन भी लगा रहेगा।


तब हम लोग नानी के घर रहने लगे। मैंने देखा कि मेरी माँ अक्सर छत पर जाती थी। उनके पास एक सेल फोन था। मैंने देखा तो ये बात मेरे मामा को बताई। मामा ने मां से पूछा, तो उन्हें बताया कि उनका फोन किसी अंजान आदमी से 500 रुपये में खरीदा था, जो बस में सफर कर रहा था।


ये सुन कर माँ ने माँ को बहुत डांटा और कहा कि ये सब ठीक नहीं है। पर जैसे-जैसे मैं बुरा हुआ, मैंने नोटिस किया कि मेरी मां का व्यवहार कुछ अलग लगने लगा। उनका चेहरा कुछ और ही कहानी बयान कर रहा था। मैंने उन्हें कुछ दवाइयाँ लेते हुए भी देखा, शायद दर्द की दवा थी।


अब जब मैं बुरा हो गया था, तो एक दिन उन्हें मुझसे कहा कि वो अपने दोस्त के पास जा रही है। मुझे उनकी हर हरकत पर शक होने लगा था। मैंने सोचा कि मुझे माँ पर नज़र रखनी होगी, वो कब, कहाँ और किस से मिल रही है।


फिर मैंने उनका पीछा किया और मुझे पता चला कि वो काले मोटे आदमी के साथ उसकी गाड़ी पर बैठ कर कहीं जा रही है। मैं लगतार उनका पीछा करता रहा। थोड़ा आगे जाकर देखा कि वो लोग एक लवर्स पार्क के पास रुक गए और अब एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले मजे से घूम रहे थे।


ये सब देखकर मुझे बहुत दुख हुआ, और कुछ देर बाद मैं वहां से अपने घर लौट आया। मम्मी कुछ घण्टों बाद घर आई, पर मैंने उनसे कुछ नहीं पूछा।


रात हुई, और वो छत पर गई। मैं भी उनके पीछे-पीछे छत पर चला गया।


छत पर मैंने उनकी बात को ध्यान से सुना और समझा कि वो वहीं अकेले उसी "गेंदे" से बात कर रही थी। मैंने उनको पीछे से आवाज दी और पूछा, “यहां अकेले में किस से बात कर रही हो?”


वो मुझे देखकर एकदुम चौक गई। उनका चेहरा पसीने से बिल्कुल गीला हो गया और वो डरते हुए बोली, "मेरी दोस्त है।"


मैंने कहा, "लाओ, मैं भी तुम्हारी इस दोस्त से थोड़ी बात कर लूं।"


मेरी बात सुनकर वो और ज्यादा डर गई, और उनके चेहरे का रंग बिल्कुल उड़ गया। अनहोनी कॉल कट कर दिया. जब मैंने कोई मोबाइल नंबर देखने की कोशिश की, तो उसने अपना नंबर ढूंढकर अपने फोन से डिलीट कर दिया।

मैंने कहा, "मैंने तुम्हें उस दिन लवर्स पार्क में हाथों में हाथ डाले घूमते हुए देखा था।"


मेरी पूरी बात सुनकर वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।


फिर मैंने उन्हें बहुत कुछ कहा और अब मैं उनसे बात ही नहीं कर रहा था। अपना फोन गुस्से में छत से नीचे फेंक दिया और अब वो काम में भी नहीं ला रही थी। कुछ महीने तक ये ऐसे ही चलता रहा, क्योंकि वो मुझसे बहुत प्यार करती थी और मेरी बात का उन्हें बहुत दुख हो रहा था।


एक दिन मैंने ऑनलाइन एक फेक आईडी बनाकर कुछ लड़कियों से इस बारे में सलाह ली। उन्हें मुझे बताया, “तुम उन्हें मत रोको। अगर वह अपनी पहली शादी भूल कर अपनी दूसरी जिंदगी में खुश रहना चाहती है, तो उसे वैसा ही रहने दो। वरना वो अकेले कैसे जी पायेगी?”


कुछ दिनों बाद मैंने मम्मी को मनाया और उन्हें कहा, "आप फोन पर बात कीजिए, मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है।" फिर मैंने उनसे कहा, "आप अगर उनसे बात करना चाहते हैं, तो कर सकती हैं।"


दोस्तों, अब मेरी ये बात सुनकर बहुत खुश हो गई और फिर उन्हें अपनी बातें एक बार फिर से शुरू कर दी। एक दिन हमारे घर के सब लोग कुछ दिनों के लिए बाहर चले गये। मैंने अपनी मम्मी को सरप्राइज़ देने के लिए उन्हें घर पर बुला लिया।


मम्मी ये सब देखकर बिल्कुल हेयरन हो गई। मैं उनकी ख़ुशी देख कर खुद भी बहुत खुश हुआ। फिर मैंने उन्हें कुछ ना कहते हुए दोनों को बिल्कुल अकेला छोड़ दिया।


वो लोग कुछ देर बैठे और बातें करते रहे, और मैं उठकर वहां से चला गया।


फ़िर मम्मी ने मुझे बुलाया और बोला, "तुम कहाँ जा रहे हो?" मैंने उनसे कहा, "आप दोनों अकेले रहो और कुछ पल बिताओ।" तो उन्हें मैंने गले लगाया और अपने कमरे में चली गई। मैंने देखा कि उस कमरे में एक खिड़की खुली हुई थी। मैं हमसे खिड़की के पास जाकर उन्हें देखने लगा।


मैंने देखा कि दोनों काफी खुश लग रहे थे। कुछ देर बाद मम्मी हमारे गेंदे की गोद में बैठ गई, और वो मम्मी के चूचियों को दबा रहा था। फिर उसने मम्मी को किस किया और ब्लाउज से दोनों चूचियां बाहर निकाल ली। वो दोनों चूचियों को चूसेंगे।


अब दोनो बिस्तर पर लेट गये। हमें गेंदे ने अपने कपड़े उतार दिए और मम्मी की साड़ी भी उतार दी। फिर उसने मम्मी की चूत को चाटना शुरू कर दिया और बोला, “तेरा बेटा भी अब हमारी तरफ हो गया है। अब तो हम बिल्कुल फ्री होके हर दिन मजे करेंगे।”


मम्मी उसकी बात सुनकर ज़ोर से हंसने लगी। फ़िर मम्मी ने उसका काला लौड़ा अपने दोनों हाथों में पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और धीरे-धीरे चूसने लगी। वो लौड़ा अपने मुंह के अंदर-बाहर कर रही थी, और उनके चेहरे के एक्सप्रेशन से साफ पता चल रहा था कि उन्हें इसमें बहुत मजा आ रहा था।


कुछ देर तक लौड़ा चुसवाने के बाद उसने मम्मी की सारी पूरी तरह उतार दी। अब मम्मी के दोनो जोड़ी फेला कर उसने अपना लौड़ा मम्मी की चूत के मुँह पर रख दिया। फिर मम्मी ने उसे किस किया, और एक ही झटके में उसने अपना पूरा लौड़ा मम्मी की चूत में घुसा दिया। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार कर मम्मी की चूत चोदने लगा।

करीब 10 मिनट की लगतार चुदाई के बाद उसने मम्मी की चूत के अंदर ही अपना बहुत ज्यादा डाल दिया। उसके बाद उसने अपना लौड़ा निकाल कर मम्मी के मुँह में दे दिया। मम्मी फ़िर से उपयोग इस तरह चूसने लगी जैसे कोई भूखी कुतिया हो। मम्मी ने अपनी जीभ से चाट-चाट कर उसका लौड़ा पूरा साफ कर दिया और उसका पूरा बहुत घातक हो गया।


फिर वो मम्मी के चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और मसल रहा था। कुछ देर बाद उसका लौड़ा फिर से तन कर खड़ा हो गया। उसने मम्मी के मुँह में अपना लौड़ा घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। चोदते-चोदते उसने मम्मी के मुँह के अंदर ही अपना बहुत डाल दिया। जब दोनों शांत हो गए, तो वो प्यार से एक-दूसरे के साथ लिपट गए।


दोस्तों, मुझे ये सब देख कर अजीब लग रहा था—थोड़ा बुरा भी और थोड़ा अच्छा भी। कुछ घंटों के बाद मैंने देखा कि दोनों कमरे से बाहर आ गए। मम्मी बहुत खुश लग रही थी। जब वो हमारे घर से जा रहा था, तो उसने मम्मी को किस किया, गले लगाया और मेरे सामने ही मुझे अपने गले से 2000 रुपये दे दिए। फिर वो चल गया.


उसके जाने के बाद मम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा, "क्यों, कैसे लगे तुम्हारे नये पापा?" मैंने हंसी में कहा, "हां, वो बहुत अच्छे हैं।" दोस्तों, मैं तो पैसा देख कर खुश हो गया। तब मम्मी ने मुझे अपने गले से लगाकर शुक्रिया कहा और बोली, "मेरा बेटा अब बहुत बड़ा हो गया है।"


फिर मैंने मम्मी से पूछा, “आप लोग इतनी देर तक अंदर क्या कर रहे थे?” तो मम्मी बोलीं, "कुछ नहीं, बस ऐसे ही हम लेट गए थे।" मैंने जब ज़्यादा दबाव डाला तो वो बोली, "बस, हमने थोड़ा प्यार किया, इसके अलावा और कुछ नहीं किया।"


मैंने फिर कहा, "मैंने उस खिड़की से सब कुछ देख लिया था।" ये सुनकर मम्मी एकदम से शर्मा गई और हंसी में बोली, "तुम पैसा लेकर बहुत मस्ती करना।"




फिर कुछ दिनों बाद उस मोटे ने मुझसे कहा कि वो मेरी मम्मी से मिलना चाहता है। मैंने एक प्लान बनाया कि कॉलेज के समारोह के बहाने उन्हें कहीं बाहर ले जाऊं। मैंने अपना प्लान उसे शेयर किया, और वो बहुत खुश हुआ।


अगले दिन वो अपनी कार लेकर घर के दरवाज़े पर हमारा इंतज़ार कर रहा था। हम उसके पास गए, और मम्मी ने मुझे भी ज़बरदस्ती अंदर बुला लिया। वो जगह जहां हम जा रहे थे, वो उस मोटे का तबेला था, जो शहर के बाहर था। कुछ देर बाद हम वहां पहुंच गए।


मैंने देखा कि वहां एक बिना दरवाजे का कमरा था, जिसकी छत भी नहीं थी। मम्मी ने मुझसे कहा, "तुम दरवाजे के पास खड़े रह कर निगरानी करो।" मैंने वही किया.


जब मैंने अन्दर झाँक कर देखा, तो वो मोटा और मेरी मम्मी दोनों ही पूरे नंगे थे। वो मोटा मम्मी की गांड चाट रहा था।


तब कुछ ही सेकंड में ये सब देखकर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। मम्मी ने मुझे देख लिया, लेकिन वो कुछ नहीं बोली, और वो मोटा भी चुप रहा। फिर मम्मी ने मुझसे कहा, "वहां एक और चारपाई रखी है, तुम उसे ले आओ और उसपर बैठ जाओ।" मैंने उनकी बात मानी और चारपाई लेकर उनके बिल्कुल सामने बैठ गया और पूरी चुदाई देखने लगा। मुझे ये सब देख कर कितना मजा आ रहा था! जब वो मोटा मेरी मम्मी को "रंडी" कहकर चोदने लगा और मम्मी उसका लौड़ा कितने मजे से चूस रही थी, तब मैं ये सब देखता-देखता ही दो बार झड़ गया।

फिर कुछ देर बाद वो दोनों बिल्कुल शांत हो गए और अपने-अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गए। तभी मोटे ने मुझे 5000 रुपये दिये, और हम घर लौट आये। जब हम घर पहुंचे, तो मैं और मम्मी एक ही कमरे में थे, और हम दोनों मोटे और मम्मी की चुदाई के बारे में बातें कर रहे थे।


फिर मैंने मम्मी से पूछा, "क्यों, बहुत मजा आता है ना?"


तो मम्मी बोली, “हां।” तभी मैंने मम्मी से कहा, "मुझे चूचियाँ पीनी हैं।" मम्मी ने तुरेंट अपना ब्लाउज़ खोलकर मुझे अपनी तरफ बुलाया और बोली, "ये लो, पेशाब लो।" मैं ज़ोर-ज़ोर से मम्मी के चूचियों को पीने लगा। फिर मैंने मम्मी को किस किया और उनको सारे कपड़े उतार कर उनकी चूत चाटने लगा।


मम्मी ने मेरा लौड़ा पैंट से बाहर निकाला, और उसे देख कर एकदम हेयरन हो गई। फिर वो मेरा लौड़ा चूसने लगी। कुछ देर तक चूसने के बाद, मैंने उस रात मम्मी को दो बार चोदा। अब तो मम्मी हर सुबह उठ कर मेरा लौड़ा चूस कर मेरी बहुत प्यारी हैं और फिर अपना काम करती हैं।


वो मोटे के साथ भी काफी खुश हैं, और मैं भी खुश हूं, क्योंकि मुझे पैसे और चुदाई दोनों ही टाइम-टाइम पर मिल जाते हैं।




दोस्तों, अब तो मोटा अपने दोस्तों को भी लाकर मेरी मम्मी को चोदता है। मैंने उसे सीधा कह दिया है, "एक आदमी का 2000 रुपये।" अब तो अपना खर्चा फुल ऑन चल रहा है। मम्मी भी खुश हैं और मैं भी। वो अपनी चुदाई में हमेशा व्यस्त रहती हैं, और मैं अपनी जिंदगी में।


दोस्तों, ये थी मेरी मम्मी की एकदुम सच्ची चुदाई की कहानी, जिसने अपनी मर्जी से बहुत बार अपनी चूत, गांड और मुँह की चुदाई करवाई। और मैंने भी इस सब में काफ़ी भूलभुलैया के लिए। अब हम सभी बहुत खुश हैं।