अपनी पिछली कहानी “दिल्ली की सैर” मैंने बताया था कि किस तरह तीन दिनों में छः मोटे मर्दों ने मेरी कमसिन गांड मारी. उस समय मैं तेरह वर्ष का ही था. यह वाकया उस समय का है जब मैं सोलह साल का हुआ ही हुआ था. मैं तब कॉलेज में पढ़ने लगा था. मैं अपने चाचा के घर रहता था. कॉलेज में अंग्रेजी के टीचर सुखराम सीतारमण थे. मेरी अंग्रेजी कमजोर थी इसलिए रात को मैं सर से अंग्रेजी मजबूत करता था. वे मुझे रात नौ और दस बजे के बीच पढ़ाते थे. वे लगभग ५८ वर्ष के थे.
एक रात जोर की बरसात हो गई और रुकने का नाम नहीं ले रही थी. तब सर ने मुझे बोला – मुन्ना, तू रात यहीं रुक जा. वे मुझे पढ़ाते समय मेरे गालों, छाती और जांघों पर प्यार से हाथ फिराते थे. उस दिन रात के ११ बज गए थे. मैं उनके संग हमबिस्तर हुआ. मैं एक झीना – सा पजामा और कुरता पहने था. वे हाफ पेंट व बनियान में थे. मैं उनकी बगल में सो करवट कर ली थी. सर मेरे पीछे लग सो रहे थे. लगभग साढ़े गयारह बजे रात वे मेरे नितम्बों से चिपट गए. मैं जग रहा था. मैंने ख़याल किया कि सर का लंड हाफ पेंट के भीतर से मेरी गांड से सट रहा है. सर के लंड की गरमी को मैंने महसूस किया. मुझे अच्छा लगा. मैंने भी अपनी गांड पीछे धचकाई, अब मैं व सर अछे से चिप्पक गए.
अब सर ने मुझे पूछा – मुन्ना, टू जाग रहा है? मैंने हौले से कहा – हाँ, सर जी. इस परवे एक हाथ से मेरा गाल सहलाते हुए बोले – तुझे मेरा यूं चिपटाना अच्छा लग रहा है? मैंने मधुरता से कहा – बहुत अच्छा लग रहा है. इस पर उन्होंने आगे मुंह घुसा कर मेरी चुम्मी ली. उनकी जीभ मेरे गालों पर फिरी. वे मेरे गोर गालों का चटकारा ले रहे थे. फिर उन्होंने मेरे होठों में अपने होठ डाले और जीभ से जीभ भिड़ा मेरी चुम्मी मारने लगे. मैं मधुरता के साथ “आह, सर – आह, सर” कह रहा था.
मेरी मधुर सिसकियों से उन्हें पता लग गया कि मैं उनसे अपनी गांड मरवाना चाहता हूँ. तो उन्होंने झट से अपना हाफ पेंट खोल दिया. भीतर अंडरवीयर भी नहीं था सो सर का नंगा लंड मेरे झीने पजामे से टकराने लगा. आह. सर जोर से सांस ले रहे थे. इस पर मैंने खुद ही अपना पाजामा खोल दिया. पजामे के भीतर बहुत पतली सी चड्डी थी. सर का लंड अब मेरी चड्डी को धक्क्का देने लगा. मैंने अब झट से यह चड्डी भी खोल दी. आह.
चिल मम्मी किसी को नहीं पता चलेगा
सर का लंड बहुत मोटा था. वह ८ इंच का था. सर ने मेरी गांड में अंगुल की व अपना लंड जोश और झटके से मेरी गांड में ठोका. पहली बार में ही वह मेरी गांड में पांच इंच घुस गया. सर का लंड बहुत गरम था. वो मेरी नन्ही गांड में अपने दृढ़ लंड का धक्कम धक्का कर रहे थे. लंड का मांस व शिराएँ मजबूत थीं. मैं मज़े ले-ले कर सर से अपनी गांड मरवा रहा था. आह, सर!