हाय मेरा नाम दिलीप है. अब आपके सामने पेश कर रहा हूं एक ऐसी हॉट कहानी, जिसके एक 28 साल के लड़के ने अपनी मां की चूत मारी। उसकी माँ गीता, जो 52 साल की है। थोड़ा मोटा शरीर, 38″ साइज के चूचे। गदराई हुई मोटी गांड की मालकिन थी वो। तो अब हम कहानी की और बढ़ते हैं।
आज पूरे 2 साल हो गए थे. दीपक अपने पिता को खो कर थोड़ा सा दुखी था। लेकिन उससे ज्यादा दुखी उसकी माँ थी। दीपक जितना अपने पिता के करीब था, उतना ही उसे उसकी मां के बारे में बुरे ख्याल आते थे।
ये गलती उसकी नहीं थी. उसकी मां ही उसे अब भी बच्चा समझ कर उसके सामने कपड़े बदलती थी, जिसकी कोई बुराई भी नहीं थी। लेकिन बेटा जवान हो चूका है, ये ख्याल शायद उसकी मां के दिमाग में ना आया हो। जब तक दीपक के पिता जिंदा थे, तब तक हफ्ते में तीन-चार बार वो उसकी मां की भरपूर चुदाई करते थे, और अपना लौड़ा गीता के मुंह में दे कर मजे लेते थे। गीता भी दीपक के बाप का लौड़ा चूसती थी।
लेकिन जब कभी गीता अपनी चूत को उसके बाप को चाटने बोलती है। तब उसका बाप मन कर देता था। लेकिन फिर भी गीता बहुत खुश रहती थी, क्योंकि उसने कभी ये सोचा नहीं था कि 52 साल की उम्र तक उसकी चूत में लौड़ा जा रहा था, और गीता की चूत में अपने पति का लौड़ा लेने के लिए खुजली होती रहती थी।
लेकिन अब पूरे 2 साल हो गए थे, और दो सालों में गीता की चूत में अपनी उंगलियों के अलावा कुछ नहीं गया था। इस वजह से वो बहुत कामुक हो गई थी। जब दीपक के पिता जिंदा थे, तब वो अक्सर चुप-चुप कर अपने माता-पिता की चुदाई देखता था, और वही चुप-चाप खड़े हो कर मुंह मार लेता था।
कभी-कभार बाथरूम में उसके मन की पैंटी मिलती थी, इस्तेमाल करने के लिए सूंघ कर, चाट कर, मुंह मार लिया करता था। दो सालों में उसने कई बार अपनी माँ को अपनी चूत में उंगली लेते हुए देखा था। लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई कि वो हालात में उसके पास जाए।
अब तो गीता की ये हालत थी कि वो अक्सर रात में सिर्फ पेटीकोट पहन के सोती थी। और इसी वजह से कई बार दीपक रात में आ कर अपनी मां के जिस्म को निहारता रहता है, और उधर ही खड़े हो कर मुंह मार कर चला जाता है।
एक दिन की बात है, जब दीपक अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने चला गया, और कुछ ज्यादा ही शराब पी ली थी। रात को जब वो घर आया, तब तक उसकी माँ सो चुकी थी। दीपक सीधे अपनी माँ के कमरे में चला गया, और मोबाइल की रोशनी में अपनी माँ के शरीर को निहार रहा था।
उसने पेटीकोट जाँघों के ऊपर तक जा चुका था। एक चुची पेटीकोट के बाहर थी. ये देख कर दीपक परेशान हो गया। एक तो शराब का नशा, ऊपर से इतनी सेक्सी औरत हालात में उसके सामने सो रही थी। शराब के नशे के कारण अब हमसे डर ख़तम हो चुका था।
उसने अपनी पैंट वहीं उतारी, और अंडरवियर में से अपना लौड़ा निकाल कर वहीं खड़े-खड़े हिलाने लग गया। लेकिन ना जाने आज हमें इतनी हिम्मत कहां से आ गई कि वो धीरे से बिस्तर पर और चल दिया।
पहले तो दीपक ने धीरे से अपनी मां की दोनों टांगों को फेल दिया, और अपने सर को अपनी मां की चूत के पास लेकर आया। हमसे आती पेशाब की हल्की खुशबू ने उसे पागल कर दिया। फिर ना-जाने कैसे उसकी जुबान खुद बा खुद अपने मुँह से बाहर आई, और उसने अपनी माँ की चूत की पंखुड़ियों को लगा दी।
जैसी ही उसकी ज़ुबान पर माँ की चूत का स्वाद आया, वो अपनी ज़ुबान को माँ की चूत पर फेरने लगा। अब दीपक में इतनी हिम्मत बढ़ गई थी कि उसने अपनी माँ की जाँघों को अपनी माँ के पेट से लगा दिया। क्या वजह से गीता की दोनों तांगें हवा में चली गईं और चूत पूरी तरह से खुल गई।
अब बात करु चूत की, तो गीता अपनी चूत हमेशा साफ रखती थी। लेकिन चूत के आजू-बाजू में काले-काले धब्बे पड़े। ये धब्बे उसके पति की सालों की चुदाई की वजह से हुए थे। चुत की पंखुड़ियां पूरी तरह से काली थी। उसका दाना एक पतले लम्बे चामदे के साथ चूत से काफी बाहर आया हुआ था।
जैसे ही दीपक ने गीता की तांगों को उठा दिया था, तब गीता अचानक से डर के उठ गई। उसने देखा दीपक ने उसकी दोनों तांगों को हवा में रखा था, और उसका सर उसकी चूत के आस-पास था।
गीता: ये क्या कर रहे हो बेटा! मुझे छोड़ दे, ये सब पाप है।
गीता ने अपनी पूरी ताकत के साथ अपनी दोनों तांगों को नीचे किया। फिर पेटीकोट को सवारते हुए एक जोरदार तमाचा दीपक के गाल पर दे दिया। उसके बाद उसको अपने कमरे से बाहर निकाल दिया।
दीपक नशे में होने के कारण वो कुछ सोचने समझने की ताकत खो चुका था। तो आज बस अपनी माँ की चूत चाहिए थी। दीपक ने फिर से गीता के बंद किये दरवाजे को खोल दिया। उसका ये परिनाम हुआ, गीता अंदर बेडरूम में ज़मीन पर गिर पड़ी, और गिरने के कारण उसका पेटीकोट पेट के ऊपर चला गया।
क्या वजह से उसकी चूत पूरी तरह से खराब हो गई है। गीता अपने बेटे को देख रही थी। दीपक के शरीर पर सिर्फ टी-शर्ट थी, और उसका 7 इंच का मोटा लंड खड़ा था। फिर गीता ने अपना मुंह दूसरी तरफ कर लिया, और अपने पेटीकोट से अपनी चूत को ढकने लग गई। तभी दीपक अपनी मां दे बोला-
दीपक: देख माँ, मुझे तो तेरी ये चूत चोदनी है।
गीता: अरे शरम कर हरामजादे. मैं तेरी माँ हूँ, कोई रखैल नहीं। और कोई बेटा अपनी माँ के साथ ये सब नहीं करता। काम से काम अपने पिता का तो ख्याल कर।
दीपक: जब मेरे बाप का लौड़ा तू रोज़ लेती थी, तब तुझे कोई समस्या नहीं हुई। मैं भी तो अपने बाप का खून हूँ, तो तुझे मेरे लौड़े से क्या दिक्कत है? मैं भी तुझे उतने ही मजे दूंगा जितने पापा देते थे।
दीपक की ऐसी बातें सुन कर गीता हेयरन हो रही थी। उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में। Msexstories पर अपने विचार जरूर दे।