Friday, 6 December 2024

तारक मेहता की अंजली

 नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके सामने 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के किरदारों पर आधारित एक सेक्स स्टोरी लेकर आएंगे। चलिए अब कहानी शुरू करते हैं।


अंजलि मेहता, जैसा प्यारा नाम, वैसी ही प्यारी सूरत, और उससे कहीं ज़्यादा सेक्सी जिस्म। कसम से लंड का पानी निकाल दे, ऐसा जिस्म है अंजलि मेहता का। आज की ये कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूम रही है।


सुबह के 7 बजे हुए थे, और तभी अंजलि का फोन बजता है। अंजलि मुँह पर कम्बल ओढ़ कर सोई हुई थी। उसके बिस्तर के आस-पास नीचे ज़मीन पर एक डिल्डो पड़ा था, जिस पर चूत का पानी सूखा पड़ा था।


उसे थोड़ी दूर लाल पैंटी पड़ी थी, जो अंजलि की ही थी। उसकी पैंटी पर चुत वाली जगह अंजलि की चुत के पानी से ज्यादा नहीं पड़ी थी। तभी अंजलि कंबल नीचे करती है, और उठ कर बैठ जाती है। उसके बाल बिखरे हुए थे.


काले रंग की छोटी नाइटी के गहरे गले में से उसकी क्लीवेज दिख रही थी, जो बहुत सेक्सी लग रही थी। उसकी आंखें चढ़ी हुई थी, क्योंकि रात को उसने थोड़ी दारू पी ली थी।


ये सब कुछ देख कर ऐसा लगता है जैसे अंजलि ने रात में दारू पीके खूब चूत चुदवाई हो किसी से। लेकिन जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है।


दरसल बात ये है कि मेहता साहब पिछले 2 महीने से किसी काम के लिए दूसरे शहर गए हुए थे। और उनको आने में अभी एक महीना और लगने वाला था। उनके ना होने से अंजलि की चूत की प्यास बुझाने वाला कोई नहीं था।


तो अंजलि डिल्डो का सहारा लेती थी. रात को भी अंजलि ने दारू इसलिए पेशाब की थी, क्योंकि उसकी चूत की प्यास उसको सोने नहीं दे रही थी। लेकिन फिर भी कोई फ़ैदा नहीं हुआ। क्योंकि दारू ने उसकी चूत की आग को और भड़का दिया।


अंजलि ने डिल्डो से अपनी चूत खूब चोदी। लेकिन एक डिल्डो कभी भी एक मर्द की तरह खराब नहीं हो सकता। जो मजा औरत को मर्द देता है, वो उसको एक डिल्डो से नहीं मिल सकता। इसी भूलभुलैया के लिए अंजलि पिछले 2 महीने से तड़प रही थी।

मैं तुम्हें भी ऐसी मस्ती सिखाऊंगा 

फिर वो फ़ोन देखती है, और वो फ़ोन मेहता साहब का होता है। वो फ़ोन उठाती है, और बात करती है। रोज़ की तरह मेहता साहब उसको थोड़े दिन थोड़े दिन कहकर हौसला बंधाते हैं। लेकिन सच तो ये था, कि अभी 1 महीना बाकी था।


बात करने के बाद अंजलि उठती है, और बाथरूम में जाके नंगी होके कमोड पर बैठ जाती है। फिर ताज़ा होने के बाद वो नहाती है, और नहाते हुए अपनी चूत फिर से सहलाती है। उसकी चूत पानी तो छोड़ देती है। लेकिन हमसे लंड लेने की ख़ुशी अभी भी कम नहीं हुई थी।


फिर अंजलि तैय्यार होके बाहर निकलती है मंदिर जाने के लिए। जब वो बबीता के घर से बाहर निकलती है, तो उसको कुछ आवाजें सुनाई देती हैं। आवाज़ सुन कर वो तुरत समझ जाती है, ये आवाज़ किस चीज़ की थी।


वो खुद को रोक नहीं पाती, और बबीता के घर की खिड़की के छेद से वो अंदर देखने लगती है। जैसा उसने सोचा था वैसा ही हुआ। अंदर अय्यर बबीता को चोद रहा था। उनकी चुदाई देख कर अंजलि की चूत और तड़पने लगती है।

अंजलि का ध्यान अय्यर के लंड पर होता है. उसका काला लंड अंजलि को किसी चॉकलेट की तरह लगता है, और उसके लंड को मुँह में लेके चुनने का दिल करता है। अय्यर बबीता के ऊपर चढ़ा हुआ था, और बबीता को दना दन चोद रहा था।


तभी अंजलि के मन में ख्याल आता है, कि क्यों ना वो भी अय्यर से चुदवा ले। ये सोच कर अंजलि सोचने लगती है, कि वो ऐसा करेगी। फिर वो मंदिर नहीं जाती, और वहीं से वापस अपने घर की तरफ चली जाती है।


घर जाके पहले तो वो नंगी होके सोफे पर बैठ जाती है। फिर वो डिल्डो हाथ में लेके उसको अपनी चूत के मुँह पर रगड़ने लगती है। उसके दिमाग में बबीता की चुदाई का सीन ही चल रहा था।


जब उसकी चूत थोड़ी गीली हो जाती है, तो वो डिल्डो चूत में डाल लेती है। पूरा डिल्डो चूत में लेके के बाद वो अपनी क्लिट मसलने लगती है, और फिर सोचने लगती है कि वो कैसे अय्यर से चुदेगी।


फिंगरिंग करते-करते उसके दिमाग में एक धांसू आइडिया आता है। तभी वो अपनी स्पीड बढ़ा देती है, और बोलती है-


अंजलि: अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अय्यर चोदो मुझे! जोर से चोदो मुझे अय्यर! तुम्हारा लंड बहुत सेक्सी है, दिल करता है खा जाउ। ज़ोर से चोदो ना आह्ह.


और ऐसे करते-करते उसकी चूत पानी छोड़ देती है। अंजलि सोचती है, कि जब अय्यर से चुदने के बारे में सोच कर उसको इतना मजा आया, तो उससे चुद कर कितना आएगा। अब उसको अगले दिन का इंतज़ार था, जब उसका प्लान शुरू होना था।


जैसे-तैसे अंजलि का दिन गुज़रता है। इस बीच वो 2 बार और फिंगरिंग कर लेती है। फिर अगले दिन वो समय पर उठ कर तैयार हो जाती है। आज अंजलि ने पिंक कलर का लेगिंग्स-सूट पहना था।


गुलाबी रंग के कपड़ों में उसका गोरा रंग और भी निखार रहा था। साथ में होठों पर लाल रंग की लिपस्टिक, गले में मंगलसूत्र, सब कमाल का लग रहा था।


अंजलि की शर्ट स्लीवलेस थी, और उसका गला इतना गहरा था, कि बिना झुके ही अंजलि की आधी क्लीवेज दिख रही थी। उसने ये शर्ट अय्यर को सिड्यूस करने के लिए पहन ली थी। फिर अंजलि जल्दी से केमिस्ट शॉप पर जाती है, और वहां से कुछ लेके आती है, जो आपको आगे पता चलेगा।


सुबह के 9 बज गए थे. आज-कल बबीता भी नौकरी कर रही थी, और वो अय्यर के ऑफिस जाने से पहले निकल जाती थी। अंजलि का ध्यान बबीता के घर की तरफ ही था, और वो बबीता के जाने का इंतजार कर रही थी।

फिर जैसी ही बबीता जाती है, अंजलि अपने घर के मीटर बोर्ड से एक तार खींच कर लाइट बैंड कर देती है। फिर वो जल्दी दे अय्यर के घर की तरफ जाती है। अय्यर भी टैब ऑफिस के लिए निकल रहा है, और अपने घर का ताला लगा रहा है। तभी अंजलि अय्यर से कहती हैं-


अंजलि: अय्यर जी, सुप्रभात.


अय्यर: गुड मॉर्निंग भाभी जी, कैसी हैं आप?


अंजलि: मैं ठीक हूं, आप बताओ?


अय्यर: मैं भी बढ़िया.


अंजलि: अय्यर जी, मुझे आपसे एक मदद चाहिए थी।


अय्यर: बोलिए भाभी?


अंजलि: मेरे घर की लाइट पता नहीं कैसे चली गई है। बाकी सब घरों की है. आप ज़रा चेक कर देंगे?


अय्यर: जी भाभी जरूर.


फिर अंजलि अपने घर की तरफ चल पड़ती है, और अय्यर उसके पीछे-पीछे चलने लगता है।


इसके आगे क्या होता है, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।

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