दोस्तों मैं किशोर अपनी मां की चुदाई की कहानी का अगला पार्ट लेके हाजिर हूं। पिछला पार्ट अगर आप में से किसी ने नहीं पढ़ा है, तो उसको ज़रूर पढ़े।
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था कि मेरे पापा मेरी सौतेली मम्मी को संतुष्ट नहीं कर पाते थे, और मैं अपनी मम्मी को देख कर रोज़ मुठ मारता था। फिर एक दिन मम्मी जब कपड़े बदल रही थी, तो मैं उनके कमरे के बाहर से अंदर झांक रहा था। मम्मी का खूबसूरत बदन देख कर मैं पागल हो रहा था। तभी मम्मी ने मुझे देख लिया। अब आगे की कहानी-
जब मम्मी ने मुझे देखा, तो वो खुद को ढकने लगी, और मैं डर कर वहां से वापस अपने कमरे में भाग गया। अब मुझे बहुत डर लग रहा था। डर से मेरी गांड फट रही थी। मेरे दिमाग में अलग-अलग खयाल आ रहे थे, कि अगर मम्मी ने पापा को इसके बारे में बता दिया, तो क्या-क्या हो सकता था।
अभी मेरे दिमाग में ये सब चल ही रहा था, कि तभी मेरे रूम के दरवाज़े पर नॉक हुआ। मैं और डर गया, और मेरे पसीने छूटने लगे। मैं जानता था कि ये मम्मी ही थी। मैं मन ही मन सोचने लगा कि उनको क्या जवाब दूंगा उनके सवाल का? फिर मैं खड़ा हुआ, और हिम्मत करके दरवाज़े की तरफ बढ़ा। मैंने दरवाजा खोला, तो मम्मी नाइटी पहन कर सामने खड़ी थी।
वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। इतनी खूबसूरत की उनको देख कर मेरा डर भाग गया, और मैं उनमें ही मोहित हो गया। मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। तभी मम्मी बोली-
मम्मी: मैं अंदर आ जाऊं?
मैं: जी-जी मम्मी, आइए ना।
मम्मी मेरे करीब से गुजरते हुए निकली, और उनके बदन की खुशबू सूंघ कर मैं उत्तेजित होने लगा। एक बार के लिए तो दिल किया कि उनको वहीं पकड़ लूं, और प्यार करना शुरू कर दूं। मम्मी मेरे बेड पर टांगें क्रॉस करके बैठ गई, और मेरे को बेड पर हाथ मार कर अपने पास बैठने को बोली। मैं बेड की तरफ बढ़ा, और उनके पास जा कर बैठ गया। फिर वो बोली-
मम्मी: तुम मेरे कमरे के बाहर क्या कर रहे थे?
मैं: मैं वो… मुझे लगा आपने आवाज दी मुझे, तो आया था। और अभी मैं आया ही था तो देखा आप कपड़े बदल रही थी। तभी आपने मुझे देख लिया।
मम्मी: देख सच-सच बोल।
मैं: सच ही बोल रहा हूं मम्मी।
मम्मी: अच्छा! मैंने तो तुझे पहले भी कईं बार रात में मेरे कमरे के बाहर देखा है। तब भी क्या तुझे लगता था कि मैंने तुझे बुलाया है?
ओह तेरी! मम्मी को तो पता था कि मैं उनको देखता था रात में पापा के साथ सेक्स करते हुए। अब मेरे चेहरे पर बारह बज गए थे, और मेरे पास कोई जवाब नहीं था।
फिर मैं बोला: मुझे माफ कर दीजिए मम्मी। मैं आपको देखने आया था। मेरा बहुत दिल कर रहा था आपको बिना कपड़ों के देखने का। पहले भी मैं आपको देखने ही आता था।
ये सुन कर मम्मी मुस्कुराने लगी, और बोली: मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूं?
मैं: जी मम्मी, आप बहुत खूबसूरत हो।
मम्मी: लेकिन मैं तेरी मां हूं। अपनी मां को ऐसे देखना क्या अच्छी बात है?
मैं: अच्छी बात तो नहीं है, लेकिन आप तो मेरी…।
और ये बोल कर मैं चुप हो गया।
मम्मी: मैं तो तुम्हारी सौतेली मां हूं, हैना?
मैं: नहीं मम्मी, ऐसी बात नहीं है।
मम्मी: अच्छा? अगर मैंने तेरे पापा को बताया तो पता है क्या होगा?
मैं: प्लीज मम्मी, पापा को कुछ मत बताना।
मम्मी: तो मेरी एक बात मानेगा?
मैं: जी बोलिए?
मम्मी: मुझे अपना लंड दिखा।
मैं: जी?!
मम्मी: हां लंड, मुझे देख कर जिसको तू हिलाता है।
मैं कुछ समझ नहीं पाया, कि मम्मी ने ऐसा क्यों कहा। लेकिन दिमाग में ये भी था कि शायद मैं उनको अपना लंड दिखा दूं, तो वो मुझसे इंप्रेस हो जाएं। लेकिन फिर भी मैंने उनसे पक्का करने के लिए एक बार फिर पूछा-
मैं: मम्मी पक्का आप मेरा लंड देखना चाहती है?
मम्मी: हां।
फिर मैंने अपनी शॉर्ट्स नीचे की, और फिर अंडरवियर नीचे किया। मेरा लंड मुरझाया हुआ था। मम्मी मेरे लंड को देख कर बोली-
मम्मी: ये तो छोटा सा है।
मैं: नहीं मम्मी, वो तो शांत है, तो छोटा लग रहा है।
मम्मी: तो फिर इसको बड़ा कर।
मैं: ठीक है मम्मी।
मेरे मन में कई खयाल चल रहे थे, और मैं थोड़ा घबराया हुआ भी था, तो मेरा लंड खड़ा नहीं हो रहा था।
फिर मम्मी बोली: क्या बात हो गई? लंड खड़ा नहीं हो रहा क्या? या ऐसे ही रहता है खड़ा हो कर भी?
मैं: नहीं-नहीं मम्मी ऐसी बात नहीं है। वो क्या है ना आप सामने बैठे हो, तो मैं थोड़ा घबराया हुआ हूं। सही से ध्यान नहीं लग रहा मेरा, तो खड़ा नहीं हो रहा।
मम्मी: अच्छा, वैसे तो मुझे देख-देख कर इसको हिलाता है। आज जब सामने बैठी हूं तो खड़ा भी नहीं हो रहा। कल को बीवी के सामने भी ऐसे ही रहा तो छोड़ जाएगी तुझे।
ये सुन कर मैं थोड़ा शर्मिंदा सा हो गया। मम्मी को ये महसूस हो गया। फिर वो बोली-
मम्मी: चल मैं तेरी मदद करती हूं। देखते है कितना बड़ा होता है तेरा।
मैं: ठीक है मम्मी।
मैंने ठीक है तो बोल दिया, लेकिन ये समझ में नहीं आ रहा था कि मम्मी मेरी मदद करने कैसे वाली थी। तभी मम्मी ने कुछ ऐसा किया, जो मैं सोच भी नहीं सकता था। उन्होंने अपना हाथ आगे किया, और मेरे लंड पर रख दिया। उनके ऐसा करते ही मैं हैरान हो गया। मेरा पूरा जिस्म कांप गया, और मेरे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा। आज जिंदगी में पहली बार किसी औरत का हाथ लगा था मेरे लंड पर। उनके कोमल हाथ के स्पर्श से मैं उत्तेजित हो गया, और मेरा लंड धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। कुछ ही सेकंड्स में मेरा लंड पूरा तन गया, और लोहे की रोड जैसा सख्त हो गया।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको इस हिंदी सेक्स कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा।
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