उसकी मुतने से जो आवाज पेदा हो रही थी वह सुन मैं बहक सा गया तभी उसने मुंह घुमाकर मेरी और देखा और एक आंख मारकर सेक्सी आवाज बना कर कहने लगी कि आजा शरमाए मत मेरे पास आकार तू भी मुड़ ले, क्योंकि हम बचपन में पास-2 बैठ कर करते थे, हां सब देख मुझे भी हिम्मत करके जीजी के ठीक पास में बैठ गया और अपने कड़कनाथ को पिंजरे से निकल कर मुटने लगा, जीजी झुक-2 कर मेरा लैंड फटी-2 आंखों से देखने लगी और बोली भय्या तू तो वास्तव में जावां हो गया हे रे, मम्मी और मैं तुझे ही बच्चा समझती थी।ट्यून अभी तक अपने औजार को कहीं ट्राई किया है या यहीं तेज धार डर हथियार लेकर घुमाता रहता है, जीजी की इसी बातन सुन मैं चुप सा हो गया और इधर-उधर देखने लगा कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है, लेकिन फिर ऊंची-2 दीवारों को देख बेफिक्रा हो मैं सीधा खड़ा हो गया, मुटने से बड़ा हल्का पैन महसूस हो रहा था जीजी ने अपनी सफेद छोटी सी पैंटी मेरे हाथों में देते हुए कहा कि चल इसे पकड़ और सीधीयों पर पानी डाल में फटा फट अभी भी सीधीयां भी धो डालती हूं। ईसा कह वाह सिधियाँ धोने लगी और मुझे पानी डालने लगा, जीजी ने जो सफेद पैंटी मुझे दी थी वह चूत वाले उसके साथ के वाह से थोड़ी गिली हो रही थी, और उसमें से एक अजीब सी पागल महसूस हो रही थी।
जैसे में जीजी की नजरों से बचकर सुन रहा था जो मुझे मदहोश बना दे रही थी, अचानक मेरी निगाह जीजी के पेटोकोट के अंदर नेफे (जहा नदी बंधी जाति है) पर पड़ी जो काफी सारा फटा हुआ था, अंदर जीजी की चूत के ऊपर के सुनहरे मुलायम बाल साफ दिखायी दे रहे थे, शायद हां सब जीजी जानती थी, क्योंकि मेरी समझ के अनुरूप कोई भी औरत अपने शरीर को यू ही बिना मकसद नहीं दिखती, जीजी के मन में क्या है हां मैंने अब तक ताड़ नहीं पाया था, क्योंकि मेरा दिमाग ने तो जीजी के मनसल बदन के भुगोल को देख कर ही काम करना बंद कर दिया था। नीचे आने के बाद मकान के पीछे के पक्के हिसे के सफाई धुलाई करने के बाद तो पूरा मकान की चमक देखते ही बनती थी।
घर के पीछे बरांदे में कपड़े धोने के लिए पक्का होज़ बना था, जिसमें पानी भरकर आराम से छोटे स्विमिंग पूल या मानो बड़े से बाथ टब का मजा लूटा जा सकता था, जीजी बोली कि हम सफाई से इतने नहीं थके जितने की धूप और गर्मी के करण परेशान हो गए हैं, पूरा बदन पसीने से छिपा रहा है, ऐसा करते हैं कि इस घर में पानी भरकर ठंडे पानी से नहाते हैं, मैंने कहा ठीक है, और ऐसा बोल मेरे घर को भी साफ करके पानी भरने लगा, इतनी देर में जीजी ने घर के बाहर दरवाजे पर ताला लगादिया, ताकि कोई परेशान न कर सके खातिर, (इसका मुजे बाद में पता चला), और साइड के दरवाजे से अंदर आ गई, और ठंडे दूध में रूह अफजा घोल कर वह दूध ठंडा बना ले, जिसको पिते ही सारी थकन तो मानो चू मंतर हो गई और बदन में एक नया जोश भर गया, इसके बाद तो मानो मुझ पर कयामत ही टूट गया पड़ी, अब जीजी ने अपना असली जलवा दिखलाना शुरू कर दिया।
उसने बड़े सेक्सी अंदाज में मुझे देखते हुए अपने ब्लाउज को खोल दिया, जिसमें से उसके दोनों गंदे हुए मस्त कबूतर फड़फड़ा कर बाहर आ गए, उनको हाथों से सहलाते हुए वाह कहने लगी के देख भैया इनको बेचारे ये भी गर्मी के कारण कैसे खत्म हो गए, आज तेरे जियाजी होते तो अब तक तो इन्हें मुंह में लेकर ताजा बांध कर देते, इसी वाहियात बात सुन मेरे को ऐसा करंट लगा कि मैंने भी सोचा कि छोड़ो ऐसी नैतिकता और दिखा दू अपनी मर्दंगी। जीजी के डोनो चेस्टो पर इतना टाइट ब्लाउज पहनने के कारण लाल रंग का निशान सा पड़ गया था, जीजी ने धीरे से अपना पेटोकोट भी खोल दीया और नंगधांग नंगी हो फिर से मुड़ गई, मुटने के लिए उठे-बैठते समय उसकी चूत का जो नजारा मुझे पीछे से हुआ वह वास्तव में मेरे जीवन का अदभुत नजारा था, क्योंकि जिस चीज को आज तक मैंने केवल फोटो या फिल्म में देखा था और जिस के बारे में मैंने बैंड कमरे में आंखें बंद कर अपने कड़कनाथ को रगड़ाता था आज वही चीज मेरे सामने परोसी हुई सी मालूम पड़ रही थी, मैं भी शर्म से पागल हो गया था, मुझे भी शर्म आ रही है, मुझे भी शर्म आ रही है।
अब जीजी पूरी नंगी अवस्था में पानी के होज में उतर गई और हाथ बड़ा कर मुझे भी बुलाने लगी, मुझे जैसे ही पानी में उतरना लगा तो जीजी ने झट से मेरी वी शेप अंडरवियर खींची, और मुझे भी अपनी तरह से नंगा कर पानी में खींच लिया, और कहने लगी कि इस बेचारेपर कुछ तरस खा, इतनी गर्मी में यह इतने तंग कपड़ों में रखेगा तो इसका क्या हाल हो गा तू नहीं जानता, इसका तो भुर्ता ही बन जाएगा, और जब मेरी भाभी यानी एस अकेली राम की जब मालकिन आएगी तो मुझसे कहेगी कि क्या जीजी याह तो नादान थे, पर तुम तो समझदार थी, कभी हमारे मेरे बारे में सोच कर ही, बेचारे को थोड़ी हवा पानी दिखा देती, ये कहानी आप फेसबुक पर देसी कहानियां पेज पर पढ़ रहे हैं, और जल्दबाजी में हुए जीजी ने मुझे अपना ऊपर गिरा लिया।
अब हम दोनों के नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़ रहे थे, जीजी के कामुक बदन ने तो मानो मुझे सम्मोहित ही कर लिया था, और मैं लगभाग अंधे के समान वही करता जा रहा था, जो वो मुझसे चाहती थी, उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़ा कर अपने बोबो पर रख दिया, और कहने लगी कृपया भैया, जल्दी से कबूतरों को मुँह में ले कर चूस जाओ नहीं तो मैं मर जाउंगी, और एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी, कुछ देर उसके बोबो को चूसने के बाद मैंने भी अपना एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया, तो मुझे उसकी गर्मी महसूस कर बताई हुआ क्योंकि जो चीज पिचले कुछ समय से ठंडे पानी ही हो वाह केसे इतनी गर्म हो सकती है, अपनी उंगलियों को अपनी बहन की मनसल चूत में घुसाते हुए मुझे बड़ा मजा आ रहा था, और मैं पागल पगलो की तरह अपनी बहन की चूत को रगड़ रहा था, जिस कारण उसमें से हल्का सा गर्म चिकना मदमस्त रस सा महसूस होने लगा, मुझे इस रस को अपने मुंह में पीना चाहिए था, लेकिन जीजी से कहने में जिप रहा था, तभी जीजी मानो मेरे आदमी की इच्छा भाप गई और वाह मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे कड़कनाथ को मुंह में लेकर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी, उसने अपनी रस भरी चूत को मेरे मुँह के पास कर दिया, जैसे शायद किताबों में 69 की पोजीशन कहता है, मैं भी अपनी बहन की चूत को मुँह में लेकर चूसने लगा।
वाह तो अनुभवी थी, इस लिए वाह भूल कर रही थी, लेकिन मेरे साथ यह पहला अनुभव था, इसलिए मैं एकदम से जोश में आ गया और अपनी बहन से बोला कि प्लीज जीजी, थोड़ा रुक-2 कर चुका, नहीं तो तुम्हारा मुंह कहीं खराब न हो जाए, तो वाह जोर-2 से जल्दबाजी में बोली कि तेरे जियाजी और मैं तो सारी रात ऐसे करते-2 गुजर देते हैं, लेकिन खाली नहीं होते, और एक तू है कि पांच मिनट में ही बोलने लगा। ठीक हाय है क्योंकि ये तेरा पहला मजा है, जीजी की मस्त रसीली चूत का मजेदार नमकीन पानी पाइन के समय जीजी ने अपनी डोनो झंघो को चोदा कर होज़ की डोली पर बैठ गई और अपनी आँखों को मुँह कर मुँह से अजीब सी सिस्कारिया ले रही थी। जब उसका मन चूमा चाटी से भर गया तो कहने लगी कि चल अब जल्दी से अपनी प्यारी बहन को चोद दे, और ऐसा कह वाह खड़ी हो गई और पानी से बाहर निकल कर तौलिया से हाला सा बदन पोच डोडकर अपने बेडरूम में घुस गई और वहां अपनी चूत को चोदा कर बोली फाड़ दे भाई अपनी बहन की चूत को, इसके बाद में मैंने अपना दर्द प्रकट किया, उसकी चूत में जो घुस गया तो वाह बिलबिला उठी और कहने लगी कि ऐसा लैंड तो मैंने अपने जीवन में कभी नहीं खाया, अगर आज यहां मम्मी होती तो..., ऐसा कह वाह मस्ती में आंखें बंद कर चुप हो गई और हमें वक्त तो मेरे लिए हां सुन कर चुप हो गया क्योंकि मैं भी इस दोस्त के साथ भूलना नहीं चाहता था, लेकिन कुछ मिनट के ढक्को के बाद मैंने अपनी बहन से पूछा ही लिया कि ऐसा लैंड कभी नहीं खाया और मम्मी होती तो...