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Tuesday, 20 May 2025

दोस्त की माँ संग मजे

 दोस्तों मेरा नाम धीरज है, और मैं अपने दोस्त की मां की चुदाई कहानी आपके सामने लेके हाजिर हूं। चलिए शुरू करते है।


एक स्कूल से दसवीं क्लास की पढ़ाई करने के बाद मैंने नए स्कूल में दाखिला लिया। वहां मेरा एक नया दोस्त बन कुणाल नाम का। शुरू-शुरू में मैं उसको खास पसंद नहीं करता था, लेकिन धीरे-धीरे वो मेरा घनिष्ठ मित्र बन गया। फिर एक दिन जब पेरेंट्स मीटिंग थी, तो मैंने और कुणाल ने एक ही समय पर स्कूल में जाने की योजना बनाई। उस दिन जब मैं अपनी मम्मी के साथ स्कूल में पहुंचा, तो मैंने पहली बार कुणाल की मम्मी को देखा।


कुणाल की मम्मी का नाम मेघा है। जिस दिन मैंने उसको पहली बार देखा, तो मेरा मुंह खुला का खुला रह गया। उनको देख कर लग ही नहीं रहा था कि वो कुणाल की मम्मी थी। वो थी तो 38 साल की लेकिन आराम से 28 साल की लड़की को भी टक्कर दे सकती थी। कुणाल की मम्मी मॉडर्न भी थी। जहां मेरी मम्मी ने साड़ी पहनी हुई थी, वहां उसकी मम्मी जींस के साथ शर्ट पहन कर आई थी। उनकी कसी हुई जींस में उनकी जांघें और गांड देख कर कोई भी लड़का उनका गुलाम बनने को तैयार जो जाएं। मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था।


फिर मैंने उनके पैर छुए। उनके गोरे पैर छूते वक्त मैंने फैसला कर लिया था कि एक दिन मैं इसी की टांगें उठाऊंगा बिस्तर पर।


वक्त ऐसे ही बीतता गया। हमारा स्कूल खत्म हो गया, और हम लोग कॉलेज में आ गए। इस दौरान मैं बहुत बार कुणाल की मम्मी से मिला। जब भी मैं उनको मिलता, मेरी उनके लिए वासना और बढ़ जाती। उनके लिए हवस को मैं अपना लौड़ा हिला कर शांत करता और टॉयलेट में बहा देता। मैंने अक्सर एक चीज़ नोटिस की थी, कि कुणाल के पापा कभी उनके साथ नहीं होते थे, और अगर होते थे, तब भी उनसे ढंग से बात नहीं करते थे। अब उनके बीच में क्या था, ये तो मुझे पता नहीं था। लेकिन जो भी था, मेरे काम आने वाला था।


एक दिन कॉलेज के दौरान कुणाल ने मुझे बताया कि वो अपने पापा के साथ कहीं जा रहा था। जब मैंने उसको उसकी मम्मी के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वो घर पर ही होंगी। ये सुन कर मैं खुश हो गया। मैंने सोचा कि कुणाल को मिलने के बहाने से उसके घर चला जाऊंगा। वहां आंटी के साथ कुछ करने की कोशिश करूंगा।


फिर वो दिन आ गया, जब कुणाल जाने वाला था। उसने मुझे अपनी फ्लाइट का टाइम बता रखा था। तो मैं ठीक फ्लाइट के टाइम के 2 घंटे के बाद उसके घर चला गया। मैंने जा कर दरवाजे की घंटी बजाई तो आंटी ने दरवाजा खोला। उनको सामने देख कर मैं देखता ही रह गया।


आंटी ने काले रंग की नाइटी पहनी थी, जो आगे से बांधी जाती है। उनकी नाइटी उनके घुटनों तक थी, तो नीचे की गोरी टांगें दिख रही थी। ऊपर से आंटी की मस्त क्लीवेज दिख रही थी। मैं तो उनको देख कर जैसे अपने होश खो बैठा। लेकिन मैंने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखा। आंटी मुझे देख कर बोली-


आंटी: अरे धीरज बेटा, आओ, अंदर आओ।


मैं अंदर चला गया। आंटी मेरे आगे जा रही थी, और मैं उनकी मस्त मटकती गांड को देखते हुए उनके पीछे जा रहा था। फिर मैं अंदर बैठक में जा कर सोफा पर बैठा। आंटी भी मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई। फिर वो बोली-


आंटी: और बताओ कैसे हो?


मैं: ठीक हूं आंटी, आप कैसे हो?


आंटी: मैं भी ठीक हूं। कैसे आना है आज इधर?


मैं: आंटी मैं कुणाल से मिलने आया था।


आंटी: लेकिन वो तो गया हुआ अपने पापा के साथ कुछ दिनों के लिए।


मैं: ओह, सच उसने मुझे बताया था। मैं बिल्कुल ही भूल गया।


आंटी: कोई बात नहीं। अब आए ही हो तो मुझसे बातें कर लो। मैं भी अकेली घर पर बोर हो रही थी।


मैं ये सुन कर खुश हो गया, और बोला: हां जरूर आंटी।


आंटी: और बताओ कुछ।


मैं: आंटी आप पूछिए जो आप जानना चाहते हो।


आंटी: अब मैं क्या पूछूं?


मैं: जो आपका दिल करे।


आंटी: अब लड़कियों का तो मुझे पता है कि क्या पूछा जाता है। लड़कों के बारे में इतना नहीं पता। चलो फिर भी मैं पूछती हूं।


मैं: पूछिए।


आंटी: गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?


मैंने सोचा आंटी तो सीधे उसी बात पर आ गई जो मैं उनके साथ शुरू करना चाहता था। फिर मैं बोला-


मैं: आंटी अभी तो नहीं है।


आंटी: मतलब पहले थी?


मैं: जी आंटी।


आंटी: फिर?


मैं: फिर क्या? फिर ब्रेकअप हो गया।


आंटी: क्यों, खूबसूरत नहीं थी?


मैं: थी तो खूबसूरत, लेकिन चिढ़-चिढ़ बहुत करती थी।


आंटी: मतलब?

मेरी विधवा मम्मी 

मैं: मतलब वहीं, ये नहीं करना, वो नहीं करना, अभी नहीं। हर चीज पर उसके मुंह से ना ही निकलती रहती थी। मतलब अगर आपको कुछ करना ही नहीं है, तो बॉयफ्रेंड भी क्यों चाहिए?


ये सुन कर आंटी मुस्कुराने लग गई। शायद वो मेरी बात का मतलब समझ गई थी। फिर वो बोली-


आंटी: तुमने गर्लफ्रेंड किसलिए बनाई थी?


मैं: आंटी अपना तो सीधा फंडा है। गर्लफ्रेंड बनाई है तो उसकी…। और यहां मैं बोलते हुए जान-बूझ कर रुक गया।


आंटी ने पूछा: तो उसकी क्या?


मैं: कुछ नहीं आंटी, कोई और बात करते है।


आंटी: अरे बताओ ना।


मैं: नहीं आंटी, कुछ और बात करते है।। आंटी: तुम बताओगे के नहीं (गुस्सा दिखाते हुए)?


मैं: आंटी आप गलत समझ लेंगी मुझे। और मैं नहीं चाहता आपके सामने मेरी इमेज खराब हो।


आंटी: अरे इसमें इमेज खराब होने वाली क्या बात है। मैं इतनी जल्दी किसी की इमेज नहीं बदलती अपने दिमाग में।


मैं: चलिए ठीक है, अगर आप बोल ही रहे तो। देखिए मेरा ये मानना है कि गर्लफ्रेंड बनाई है, तो उसकी जम के लेनी चाहिए।


ये बोल कर मैं चुप हो गया। आंटी मेरी तरफ देख रही थी।


इसके आगे इस सेक्सी कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। 

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