गोकुलधाम सोसाइटी के घर में एक शाम का सन्नाटा था। जेठालाल अपनी दुकान से थका हारा घर लौटा। दरवाज़ा पहले से खुला छोड़ दिया था। क्योंकि वो जल्दी में था. दया लिविंग रूम में बैठी थी, एक सुंदर सी हरी साड़ी में। वो उसके बदन के हर कर्व को और भी आकर्षक बन रही थी।
उसके खुले बाल और मुस्कान जेठालाल के दिल को धड़का रहे थे। बापू जी अपने दोस्त के घर गए थे, और टप्पू अपने दोस्तों के साथ बाहर थे। घर में सिर्फ जेठालाल और दया अकेले थे। जेठालाल सोफे पर बैठा और दया को देखा, उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी।
"दया, आज तू क्या मस्त लग रही है, बिल्कुल अप्सरा जैसी," उसने मस्ती भरी आवाज़ में कहा। दया ने शर्माते हुए मुस्कुराया और बोली, "अरे, टप्पू के पापा, आप भी ना। हमेशा मेरी तारीफ करते हो!" वो जेठालाल के पास आई, और उसके बगल में सोफे पर बैठ गई।
“टप्पू के पापा, आज आपके दिल में क्या चल रहा है?” उसने शरारत से पूछा, अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा खिसका हुआ।
जेठालाल ने दया का हाथ पकड़ा और उसे अपना करीब खींच लिया। "दया, आज थोड़ी अलग सी मस्ती करे? कुछ नया ट्राई करे?" उसने धीरे से कहा. उसकी आवाज में एक गर्मी थी। दया के गाल लाल हो गए, और उसने शर्माते हुए पूछा, "टप्पू के पापा। ये क्या बोल रहे हो?" लेकिन उसकी आँखों में एक चाहत भारी झलक थी।
जेठालाल ने दया को अपनी बाहों में भर लिया, और उसकी गर्दन पर एक चुम्बन दिया। “दया, आज मैं तुझे एक नया मजा सिखाता हूं,” उसने कहा और उसकी साड़ी के ऊपर से उसके स्तनों को हाथों में लिया, धीरे से दबाया। दया के मुँह से एक सिस्की निकल गई। “टप्पू के पापा, ये क्या कर रहे हो?” उसने शर्मते हुए कहा, लेकिन उसने जेठालाल की शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए।
जेठालाल ने दया को सोफे पर बिठा दिया और उसकी पैंट के बटन खोले। जब उसने अपना लंड बाहर निकाला, दया ने शर्मते हुए देखा और बोली, "टप्पू के पापा, ये तो बहुत बड़ा है!" जेठालाल ने मुस्कुराते हुए कहा, "दया, आज तू इसे और करीब से जानेगी।"
उसने दया को धीरे से कहा, "इसे अपने मुँह में ले, दया, देख कितना मजा आएगा।" दया ने पहली बार तुमने ट्राई करने का सोचा, और शरमाते हुए अपने होठों को जेठालाल के लंड के करीब लाया। उसने धीरे से उसके लंड को अपने मुँह में लिया, और जेठालाल के मुँह से एक सिस्की निकल गयी।
दया की जीभ उसके लंड के चारों ओर घूम रही थी, और वो धीरे-धीरे उसके लंड को चुनने लगी, उसके हाथों से उसके लंड के बेस को सहलाते हुए। “दया, तू तो इसमें भी एक्सपर्ट है,” जेठालाल ने जोश में कहा, उसके हाथ दया के बालों में उलझ गए।
तभी, घर के खुले दरवाज़े से बबीता और अंजलि, दया की दोस्त, ज़ोर से चिल्लाते हुए अंदर आ गई, "दया भाभी! दया भाभी! कहाँ हो तुम?" जेठालाल एक-दम घबरा गया, और दया ने जल्दी से सोफे के पीछे छुपने की कोशिश की। लेकिन उसने शरारत से जेठालाल के लंड को चूसना बंद नहीं किया।
वो सोफे के पीछे घुटनो के बाल बैठी थी, और अपने होठों से जेठालाल के लंड को और गहरे चूस रही थी, उसकी जीभ उसके लंड के टिप पर गोल-गोल घूम रही थी। जेठालाल के लिए अपने आप को कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था, उसके चेहरे पर पसीना आ गया।
जेठालाल ने खुद को संभालते हुए कहा, "अरे, बबीता जी, अंजलि जी, दया तो अभी थोड़ी देर पहले बाथरूम गई है, शायद नहा रही है।" बबीता ने मुस्कुराते हुए कहा, "अच्छा, जेठालाल जी, हम बस सोसायटी की मीटिंग के लिए दया भाभी को बुलाने आये थे।"
अंजलि ने जोड़ा, "हां, थोड़ी देर बाद आएंगे, उन्हें बोल देना।" इस सब के बीच, दया ने चुप कर जेठालाल के लंड को और तेज़ चुनना शुरू कर दिया। उसके हाथ उसके लंड के चारों ओर घूम रहे थे, और जेठालाल की जोड़ी कांप रहे थे।
उसने अपनी आवाज को कंट्रोल करते हुए कहा, "हां, मैं दया को बोल दूंगा, आप लोग थोड़ी देर बाद आना।" बबीता और अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, जेठालाल जी," और वो चली गई।
जेठालाल ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और दया को सोफे के पीछे से बाहर बुलाया। "दया, तू तो मेरी जान ले लेगी! ये क्या शरारत थी?" उसने हंसी के साथ कहा। दया ने शर्मते हुए कहा, "टप्पू के पापा, मैंने सोचा थोड़ी मस्ती हो जाए!" और उसने फिर से जेठालाल के लंड को अपने मुँह में ले लिया।
उसने अपने होठों को और गहरा किया, और उसकी जीभ जेठालाल के लंड के हर हिस्से को सहला रही थी। जेठालाल के मुंह से सिसकियां निकल रही थी, और वो दया के बालों को पकड़ कर उसके मुंह को और करीब खींच रहा था।
“तपू के पापा, ये पहली बार है, लेकिन आपके साथ ये मजा अलग ही है,” दया ने धीरे से कहा, और उसने जेठालाल के लंड को पूरा तरह से अपने मुँह में ले लिया, अपने हाथ से उसके लंड के बेस को ज़ोर-ज़ोर से सहलाते हुए।
जेठालाल का जोश अब हद पार था। दया के मुंह के हर आंदोलन से उसका बदन एक आग की तरह भड़क रहा था। उसने दया के ब्लाउज के बटन खोल दिए, और उसके नरम, गोल स्तनों को बाहर निकाला।
“दया, तेरे स्तन तो बिल्कुल परफेक्ट हैं,” उसने कहा, और उसके स्तनों को अपने हाथों में दबाया। दया के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी, लेकिन उसने अपना काम नहीं रोका। वो जेठालाल के लंड को और तेज़ चूस रही थी, उसकी जीभ उसके लंड के टिप पर तेज़ी से घूम रही थी।
आख़िरकार, जेठालाल का कंट्रोल टूट गया। उसने दया के मुंह में अपना सारा कम रिलीज कर दिया, और दया के मुंह से एक धीमी सी आवाज आई। थोड़ा सा कम उसके होठों से निकल कर उसके स्तन पर गिर गया। जो उसके खुले ब्लाउज में चमक रहे थे। जेठालाल ने दया के स्तनों को देखा, जहां वीर्य की बूंदे चमक रही थी, और कहा, "दया, तेरे स्तनों पर ये कितना सेक्सी लग रहा है।"
दया ने शर्म करते हुए अपने स्तनों पर लगे कम को अपनी उंगली से छुआ और बोली, "टप्पू के पापा। आपने तो मुझे पूरा गंदा कर दिया!" उसने शरारत से मुस्कुराते हुए जेठालाल को देखा और कहा, "लेकिन ये मजा कभी नहीं भूलूंगी।"
डोनो ने एक-दूसरे को बाहों में लिया और हंसने लगे। दया ने जेठालाल के कान में धीरे से कहा, "तप्पू के पापा। ये पहली बार था, लेकिन आपके साथ ये पल हमेशा याद रहेगा।" जेठालाल ने उसे ज़ोर से बाहों में भर लिया। फिर दोनों एक-दूसरे के साथ उस रात के जोश में खो गए। गोकुलधाम सोसाइटी के उस छोटे से घर में, उस रात जेठालाल और दया के प्यार ने एक नई शुरुआत की।