Wednesday, 30 April 2025

 हेलो दोस्तों, आप सब कैसे हैं? उम्मीद करता हूं सब अच्छे ही होंगे, और सेक्स कहानियां पढ़ कर मजा कर रहे होंगे। मेरा नाम आदित्य (बदला हुआ नाम) है, और मैं कोटा राजस्थान का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 23 साल है, और मेरे लंड का साइज़ 5.9 इंच है, जो किसी भी चूत को ठंडा कर सकता है। मैं पहली बार कहानी लिख रहा हूं, तो कोई गलती हो तो माफ कीजिए।


ये कहानी एक चोदू पति की सेक्सी बीवी की चुदाई की है। कैसे पहले मैंने अकेले इस्तेमाल किया और फिर उसके पति के साथ मिल कर चोदा। तो चलिए देर ना करते हुए सीधी कहानी पर आते हैं।


मैं आज तक बहुत चूत मार चुका था, पर अब मुझे किसी शादीशुदा महिला/आंटी की चूत फाड़ने का बहुत ज्यादा मन हो रहा था। साथ-साथ मुझे कुकोल्ड कपल के साथ रहने की भी फैंटेसी थी बहुत टाइम से। इसी के चलते मैंने बहुत से डेटिंग ऐप्स पर कोशिश की, लेकिन लंबे समय तक कुछ हाथ नहीं लगा।


फिर एक दिन मेरा मैच मेरी ही सिटी के एक कपल से हुआ। प्रोफ़ाइल चित्र में धुंधला चेहरा सा था महिला का, पर बहुत आकर्षक और मासूम सा था। उसे देख कर मेरा लोडा एक-दम टाइट हो गया। फिर जब नॉर्मल हाय-हैलो वाली बातें हुई तो पता चला ये बकवास जोड़ी थी, और ये अकाउंट उन आंटी के पति संभालते थे, जो अपनी बीवी को किसी दूसरे टैगदे लंड से चुदवाने के लिए हमेशा उत्साहित रहते थे।


मैं आज तक बहुत चूत मार चुका था, पर अब मुझे किसी शादीशुदा महिला/आंटी की चूत फाड़ने का बहुत ज्यादा मन हो रहा था। साथ-साथ मुझे कुकोल्ड कपल के साथ रहने की भी फैंटेसी थी बहुत टाइम से। इसी के चलते मैंने बहुत से डेटिंग ऐप्स पर कोशिश की, लेकिन लंबे समय तक कुछ हाथ नहीं लगा।


फिर एक दिन मेरा मैच मेरी ही सिटी के एक कपल से हुआ। प्रोफ़ाइल चित्र में धुंधला चेहरा सा था महिला का, पर बहुत आकर्षक और मासूम सा था। उसे देख कर मेरा लोडा एक-दम टाइट हो गया। फिर जब नॉर्मल हाय-हैलो वाली बातें हुई तो पता चला ये बकवास जोड़ी थी, और ये अकाउंट उन आंटी के पति संभालते थे, जो अपनी बीवी को किसी दूसरे टैगदे लंड से चुदवाने के लिए हमेशा उत्साहित रहते थे।


कुछ दिन उनको मुझे आरामदायक होने में लगे चैट करते हुए, और फिर मिलने का दिन तय हुआ। अंकल पेशे से इंजीनियर हैं, और आंटी भी किसी कंपनी में नौकरी करती हैं।


मैं आपको आंटी के बारे में बताना तो भूल ही गया। आंटी एक दम टाइट माल है, जिसे देखते ही किसी का भी लंड एक बार में खड़ा हो जाएगा। भरे हुए शरीर की मालकिन है आंटी. दूध सा गोरा रंग, एक दम मोटे गुलाबी निपल्स, 36″ के स्तन, 34″ का कमर और 40″ की गांड। उफ़्फ़्फ़ साली चलती-फिरती गोल-मटोल बम थी।


होटल में मिलने का रंग तय करें। मैंने 12 बजे चेक-इन कर लिया, और कमरे में बैठ कर आंटी को ऐसे चोदूंगा वैसे चोदूंगा के बारे में सोच-सोच कर अपना लोडा मसलता रहा। कुछ ही देर बाद मुझे अंकल की कॉल आई और उन्होंने चेक-इन कर लिया था, और वो रूम नंबर में है। अन्होने मुझे अपने रूम में बुलाया।


मैंने फिर फटाफट उनके बताए हुए रूम पर पांच कर गेट नॉक किया, तो एक 45+ के आदमी ने गेट खोला, जो अंकल थे। फिर मेरी नज़र बिस्तर पर बैठी उस सेक्सी गोल-मटोल आंटी पर पड़ी, जिसे देखते ही मेरा उसने बस खा जाने का दिल किया। कमरे में आ कर मुख्य बिस्तर पर आंटी के बगल में बैठ कर दोनों से बातें करने लगा।


अंकल : कैसी लगी मेरी बीवी? चोदने लायक है ना?


मैं: चोदने लायक? इनको मैं अपने लंड पर से नीचे ना उतारूँ, इतनी कड़क माल है।


ये सुन कर आंटी शर्मा गई, और मुँह शर्म से नीचे कर लिया।


फिर मैंने अंकल को बोला: अब समय बर्बाद मत करो शुरू करो।


और ये बोलते ही मैंने आंटी की जाँघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया, जिसे वो गरम होने लगी। धीरे-धीरे मैंने हाथ उनकी चूत पर रखा, और चूत को मसल दिया पजामे के ऊपर से ही। फिर कास के मुट्ठी में भर ली चूत, जिसकी आंटी की एक मीठी आह निकल गई।


उसके बाद मैं सीधा उनको ऊपर लेटने लगा, और उनको किसी भूखे भेड़िये के जैसे चूमने लगा। कभी होठों के बराबर, कभी गर्दन के बराबर, कभी स्तन के बीच में, और चाटने लगा। उनको हर जगह से गीला कर दिया चाट-चाट कर मैंने। ये सब वो अंकल देख कर नंगे हो गए।


उनका लंड मुझसे छोटा और थोड़ा पतला था। वो बेड की दूसरी साइड बैठ कर अपनी बीवी का मेरे साथ रोमांस मस्ती से देखने लगे खुश हो कर।


फिर मैंने आंटी को नंगा करना शुरू किया कि किस करते हुए, और धीरे-धीरे उनकी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को पैंटी के साथ ही नीचे खींच दिया। उसके बाद कुर्ता उतार कर एक कोने में फेंक दिया। अब आंटी मेरे सामने सिर्फ काली ब्रा थी, जिसकी 36″ की आम बहुत गर्म लग रही थी। उन पर मैं टूट पड़ा, और ब्रा के ऊपर से हाय स्तन चुनने लगा। इसे आंटी आआह्ह्ह सीईईईई उम्म्म जैसी गरम आवाज निकलने लगी।


आंटी की ब्रा भी मैंने एक झटके में उतार फेंकी, और उनके एक-दम टाइट और मोटे आम ​​जैसे गुलाबी निपल्स वाले स्तन मेरे सामने थे, जिनको मैं किसी बच्चे जैसा चुनने लगा। एक हाथ से दूसरा उल्लू मसलते हुए दूसरे हाथ से चूत की क्लिट रगड़ने लगा, जिसकी वजह से आंटी आउट ऑफ कंट्रोल हो गई, और तेज-तेज गरम सांसें लेने लगी आअहह उउम्म कराहते हुए।

फिर मैं बिस्तर पर खड़ा हो गया, और आंटी को बैठने को बोल कर उनके चेहरे पर लंड घुमाने लगा। उनकी मांग में भारी हुई सिन्दूर में अपना लोडा घिसने लगा। फिर धीरे-धीरे नीचे आते हुए कभी उनकी आँखों पर अपना मोटा लंड रखा, तो कभी उनकी नाक पर, जिसकी वो और गरम हो गयी।


उसके बाद मैंने आंटी से मुंह खोलने को बोला, और लंड को आंटी के होठों पर लिपस्टिक जैसा फिरता हुआ उनके मुंह में डालने लगा। आंटी का मुँह इतना गीला और चिकना था ना, क्या बताउ। लंड मुँह में पूरा घुसते ही मुझे ऐसा लगा जैसे किसी गरम चॉकलेट में अपना लंड दे दिया हो।


आंटी मेरा लंड मस्ती से चुनने लगी, और मैंने उनको बाल पकड़ कर पूरा लंड उनके गले तक घुसेड़ कर मुँह चोदने लगा। इससे मेरी भी कराह निकलने लगी और मैं बोला-


मैं: आआआह्ह्ह्ह आंटी, और चूस साली. पूरा गले तक गहरा ले.


ये करते हुए बहुत कुछ बोलने लगा। आंटी अब तड़पने लगी थी, पर शर्मीली होने की वजह से कुछ बोल नहीं रही थी। मैं उनको आंखों में देख कर समझ गया था, तो मैंने उनको लेने को बोला। फिर मैं उनकी टांगों के बीच आ कर, उनकी टांगें पूरी खोल कर, चूत पर मेरी थूक से भरी हुई गीली ज़ुबान राखी, और क्लिट को चाटने लगा। इसे आंटी और ज्यादा झटपटाने लगी, और मैं चाट-ता रहा।


उनकी चूत दोनों हाथों से खोल कर, बीच में जुबान डाल कर, मुख्य चूत को जुबान से चोदने लगा। आंटी आअहह ओह्ह्ह करते हुए मेरा सर अपनी चूत में घुसाने लगी, और आंटी की चूत से पानी छूट गया धीरे सारा। ये कुछ 7 मिनट करने के बाद अब मुझसे भी रहा नहीं गया, तो मैं एक-दम से उठा, और जल्दी से लंड पर एक्स्ट्रा डॉटेड कंडोम चढ़ा कर सीधा एक झटके में पूरा लंड घुसा दिया।


आंटी की आंखें एक-दम हुए इस झटके से खुली रह गईं, और एक ज़ोर की आआह्ह्ह निकली उनके मुँह से। पर मैंने इस सब पर ध्यान नहीं दिया, और लगा आंटी की चूत फाड़ने तेज-तेज अंदर-बाहर करते हुए अपने मोटे गरम लंड को।


मैं: कैसा लग रहा है आंटी मेरे लंड के झटके खाओ? मजा आ रहा है ना? आपके पति से ज्यादा बड़ा और मोटा लंड घुसा है आपकी चूत में आज।


आंटी: अह्ह्ह्ह हा, उउम्म, बहुत मजा आ रहा है इस लंड से. और तेज़ चोदो, गहरा घुसाओ लंड को।


और फिर मैं जबरदस्त तरीके से आंटी की चुदाई करने में लग गई बिना रुके। आंटी की चूत बार-बार रस छोड़ने लगी। लगभाग 2 बार आंटी ने बिस्तार गीला किया मेरे झटके की वजह से। कुछ 15 मिनट की लगतर चुदाई के बाद मैं भी आंटी की चुदाई करते हुए ही झड़ गया, जो कंडोम में जा गिरा।


फिर मैं आंटी के ऊपर लेट गया, और किस करते हुए उनके स्तन मसलते लगा। जब मैंने लंड बाहर निकाला, तो लंड के साथ आंटी का ढेर सारा माल फिर बिस्तर पर गिरा। फिर कंडोम मैंने जैसे ही उतारा, अंकल ने ले लिया, और चाटने लगे, कंडोम से निकाल कर मेरा माल। ये मेरे साथ पहली बार हुआ, जिसे देख मुझे थोड़ा अजीब तो लगा। पर उत्साह बहुत ज़्यादा हुआ।


अगर आपको इस कहानी को पढ़ने में मजा आया हो, तो कमेंट करके फीडबैक दें। अगली कहानी प्रतिक्रिया देख कर ही भेजूंगा।

अंकल ने आंटी को चुदवाया

 शेजारच्या काकू ने घेतली मजा

मी नुकताच मुंबई मध्ये दाखल झालो होतो. नोकरी निम्मित माझी मुंबई ला बदली झाली होती. तसा माझा जॉब चांगला होता त्यामुळे मी एका भागात अपार्टमेंट मध्ये भाड्याने फ्लॅट घेतला होता. मी मुंबई मध्ये नवखा होतो. किंबहुना मी पहिल्यांदाच मुंबई मध्ये आलो होतो. पण मी तसा खूप ठिकाणी फिरला असल्याने मला बुजल्यासारखे अजिबात वाटत नव्हते.


मी येऊन एक महिना  होऊन गेला होता. मी सकाळी गेलो कि रात्रीच परत येत असे. आले कि मग जेवण बनवणे, थोडावेळ टीव्ही पाहणे आणि झोपणे हा माझा रोजचा दिनक्रम होता. त्यामुळे मला शेजारी पाजारी कोण राहतात याबद्दल काहीच माहित नव्हते. नाही म्हणायला येता जाता बघणे व्हायचे. त्यातीलच एक म्हणजे माझ्या शेजारी राहणारे जोशी काकू.


जोशी काकूंचे वय अंदाजे ४०-४५ असावे. पण आजही या वयात त्या एखाद्या तिशीतील मुली सारख्या दिसायच्या. मुळातच त्यांची अंगकाठी सर्वसाधारण होती त्यामुळे कदाचित त्यांचा बांधा सुडौल होता. गव्हाळ वर्णाच्या जोशी काकू मला अधून मधून दिसायच्या. पण आम्ही कधी एकमेकांशी बोलायचं प्रश्न आला नव्हता. बाकी त्यांच्या घरी त्यांचा नवरा आणि त्या असे दोघेच राहायचे.


एक दिवशी मी रात्री टीव्ही पाहत रूम मध्ये पडलो होतो. तोच मला जोशी काकूंच्या घरातून जोरजोरात भांडण्याचा आवाज ऐकू आला. मी पळतच त्यांच्या घरी गेलो. जोशी काका आणि काकूंचे जोरात भांडण झाले. जोशी काका तिला मारत होते. ते पाहून मी मध्ये पडलो आणि जोशी काकूला बाजूला घेतले. काकांना मी


माझ्या भाषेत समजावले तसे ते शांत झाले. सगळे मिटवून मी माझ्या रूम मध्ये परत आलो.


साधारण ३-४ दिवसांनी मी घरी परतत असताना वाटेत जिन्यात मला जोशी काकू भेटल्या. माझ्या कडे पाहून त्यांनी स्मित हास्य केले आणि मला म्हणाल्या “मला तुमचा नाव नाही माहिती. पण त्या दिवशी मला वाचवल्या बद्दल धन्यवाद”.


मी म्हणालो “अहो त्यात काय एवढं. माझं कर्तव्यच आहे ते. आपण शेजारी आहोत. आणि हो माझे नाव निलेश आहे”.


आवांतर बोलून आम्ही निघून गेलो. त्यानंतर आमची वरचेवर भेट होऊ लागली. घरी येणे जाणे होऊ लागले. कधी कधीत्या मला  पोहे उप्पीट खायला द्यायच्या. आम्ही एकमेकाबरोबर आता बराच वेळ घालवू लागलो होतो. तसेही जोशी काका ची फिरतीची नोकरी असल्याने बहुतेक वेळा ते घरी नसायचेच आणि असले तरी ते दारू पिऊन जोशी काकू बरोबर भांडत असायचे.


त्या रात्री पुन्हा तेच झाले.

जोशी काका पुन्हा दारू पिऊन आले होते आणि त्यांनी धिंगाणा करायला सुरवात केली होती. मी पुन्हा धावत त्यांच्या घरी गेलो आणि बघतो तर काकांनी काकूला तांब्या फेकून मारला होता आणि त्यांच्या डोक्याला थोडे खरचटले होते. एव्हढे होऊनही तो त्याचं कामासाठी निघून गेला होता. मी काकूला उठवले आणि माझ्या रूम मध्ये घेऊन आलो. ती रडत होती. मी तिला मलम पट्टी केली आणि पाणी प्याला दिले. थोडा वेळ झाला आणि ती शांत झाली.


ती म्हणाली “निलेश, मला त्या माणसाची भीती वाटते आहे.”


मी म्हणालो “काकू, तुम्ही घाबरू नका. मी आहे आणि आज तुम्ही इकडेच रहा.” ती ठीक आहे बोलली.


गुलाबी साडी मधील जोशी काकू आज इतक्या जवळून पहिल्यांदाच मी बघत होतो. लांब केस, भरदार उरोज आणि कवळी सारखी तिची फिगर बघून मी कासावीस झालो.


“निलेश तुझ्याशी बोलले कि खूप बरे वाटते. तू आणि तुझे वागणे किती व्यवस्थित आहे. नाही तर आमचे हे आहेत” जोशी काकू म्हणाल्या.


त्या खूपच मोकळ्या झाल्या होत्या. बऱ्याच गोष्टी त्या त्यांच्या बद्दल सांगू लागल्या.


“माझे आणि यांचे संबंध सुरवाती पासूनच चांगले नव्हते. मला मुळात यांच्याशी लग्नच करायचे नव्हते. घरच्यांनी सांगितलं म्हणून केले. आमचे खाजगी संबंध देखील फार चांगले नाहीत. माझ्यासाठी तर तो बलात्कारच असतो” असं म्हणून जोशी काकू पुन्हा रडू लागल्या. मी गडबडलो. मला काय करावे ते समजेना. माझ्या जवळच बसलेल्या जोशी काकूंचा हात मी माझ्या हातात घेतला आणि त्यांचे सांत्वन करू लागलो.


“आपण मित्रच आहोत असे समजा ना काकू. मी काही आता परका आहे का तुमहाला?” मी म्हणालो.


“अरे नाही नाही. तू परका नाहीस निलेश. तसे असते तर मी तुला माझ्या खाजगी गोष्टी सांगितल्याच नसत्या.” असे म्हणून काकू माझ्या छातीवर डोके ठेवून हुंदके देऊ लागल्या.


मी त्यांचे सांत्वन करण्यासाठी त्यांच्या खांद्याला अलगद चोळू लागलो. मला वाटले त्या संकोचतील. पण त्यांनी नकार दिला नाही.


त्यांचे हुंदके थांबले होते. त्या तरीदेखील मला खेटून बसल्या होत्या. त्यांनी त्यांचा हात मागे घेतला होता. त्यामुळे त्यांचे उरोज माझ्या छातीला टेकत होते. इतके भरदार उरोज माझ्या शरीराला लागत असल्यामुळे मी कासावीस बनत होतो. मी अजूनही त्यांचे खांदे चोळतच होतो.


“तुझे हात किती कडक आहेत रे निलेश. व्यायाम करतोस का?” त्यांनी विचारले.

“आधी करायचो पण आता नाही” मी म्हणालो.


“तरी देखील तुझे हात मजबूत आहेत. एखादा मोठाला बॉल तुझया हातात सहज मावेल” असे म्हणून ती हसली. मी देखील हसलो.


आता ती लाडात आली होती. मी माझा हात हळू हळू खांदा दाबत दाबत खालील तिच्या पाठी कडे घेतला. तिची गोरीपान पाठ मी माझ्या हाताने फिरवू लागलो. तिचा मूड पाहून मी म्हणालो “तुम्ही इतक्या गोऱ्या कसे काय आहात काकू? बाहर इतना तो गोडाऊन मी कितना” मी म्हणालो.


त्यावर ती जोरात हसू लागली.


मी हळूच तिच्या पाठीमागून माझा हात तिच्या उरोजावर नेला आणि हलकेच दाबू लागलो. ती म्हणाली “निलेश हे काय करतोयस?”


मी म्हणालो “सॉरी तुम्हाला आवडलं नसेल तर” असे म्हणून मी माझा हात बाजूला घेतला.


तिने झटकन माझा हात हातात घेतला आणि म्हणाली “अरे तसं नव्हे. असा मागून हळूच काय दाबत आहेस. सरळ पुढून तरी कर”


असे म्हणून तिने माझा हात तिच्या वक्ष स्थळावर ठेवावा आणि मला दाबण्यास सांगितले. मी एका क्षणात स्वतःला सावरले आणि जोशी काकू चे भरदार उरोज मी दाबू लागलो. त्याच वेळी तिने तिचे तोंड माझ्या तोंडात दिले आणि आम्ही एकमेकांना चुंबन देऊ लागलो. काळ्या रंगाच्या ब्लाउज मध्ये तिचे गोरेपान उरोज भलतेच उठून दिसत होते. मी तिला खाटेवर आडवी केली आणि तिच्यावर तुटून पडलो.


चुंबनाच्या वर्षात मी ती तिच्या ब्लाउज ची बटणे काढायला सुरवात केली आणि ज्यावेळी तिचे उरोज बाहेर आले ते बघून माझे डोळे दिपून गेले. मी आधाशासारखा तिच्या उरोजांवर तुटून पडलो. वाघाने लचके तोडावे तसे मी तिचे उरोज तोंडात घेऊन खात होतो. तिची निळी साडी खालून वर येत होती. मी माझा हात तिच्या साडी मध्ये घातला आणि तिची साडी अजून वर घेतली. तिच्या गोऱ्या पण मांड्या आता माझ्यासाठी तयार होत्या.


मी तिला साडी काढण्यास सांगितले. पण काकू जुन्या वळणाची असल्याने ती म्हणाली “आपण असेच करूया”


मला त्याने काही फरक पडणार नव्हता. मी काही न बोलता माझे काम चालूं ठेवले. तिची साडी वर केली आणि मी तिच्या मांडी मध्ये शिरलो. तिच्या मांसल मांड्या मी माझ्या जिभेने खाऊन टाकल्या. मी मधून मधून तिच्या मांड्यांचा चावा घेत होतो. तशी ती ओरडत होती. ती म्हणाली “निलेश तू खूपच आगाऊ आहेस. किती तो रानटीपणा. तुला कोणी कोवळी मुलगी मिळाली तर काय करशील तीच बघ”


“समोर असा आयटम असताना मी कसा शांत बसू” मी म्हणालो.

तिची गोरीपान योनी चाटून झाल्यावर  कडक झालेला सोटा तिच्या तोंडात दिला. माझा तरुण सोटा बघून ती खुश झाली होती. ती म्हणाली “मी किती वर्ष लंड तोंडात घेण्यास आतुरले होते. माझा सर्वात आवडता प्रकार आहे हा. पण आमचे हे काही करू देत नव्हते”.


“तु मनसोक्त माझा लंड चोक. मला देखील माझा लंड चोकून घेण्यास खूप आवडते” मी म्हणालो.


तीने अक्षरशः माझा सोटा चोकून चोकून लोखंडासारखा कडक बनवला होता. आताच वीर्यपतन होते कि काय असे मला वाटू लागले होते. मी तिला थांबवले आणि तिला पाय फाकवायला सांगितले. माझा कडक सोटा तिच्या योनीमध्ये मी घुसवला आणि कुत्र्यासारखा तिच्यावर तुटून पडलो. मी जोरजोरात दणके द्यायला चालू केले. माझ्या प्रत्येक दणक्यासरशी तिची योनी अधिकच ओली होत होती. ती मला त्यामुळे अधिकच प्रोत्सहन दे होती.


जवळपास वीस ते पंचवीस मिनिटे मी माझी कंबर न थांबता हलवत होतो. ती देखील न थकता मला प्रतिसाद देत होती. अखेरीस मी माझ्या सोट्यातून तिच्या योनीत माझे वीर्य गाळले. तिची खूप वर्षांची मनाजोगी संभोगाची इच्छा मी आज पूर्ण केली होती. काकू ने मला तिच्या अंगावरून खाली उतरू दिले नाही. मी तसाच पडलो होतो आणि काकू मला चुंबन देत होती. त्या दिवसापासून काका गेले कि आम्ही हा कार्यक्रम न चुकता करू लागलो होतो आणि काकू ला पण माझ्या रूपाने एक सवंगडी मिळाला होता.

शेजारच्या काकू ने घेतली मजा

Tuesday, 29 April 2025

I am sure that all your people's houses must have many secrets hidden, between the people of the house or some other sex secret, well, today I am telling you one such story which is of my beloved Khushboo Didi.

We both sisters studied in the same school and college. At that time I was studying M.A. and at that time Khushboo Didi was married. My brother-in-law is an engineer and he works in Delhi.


He looked like a hero and was very straightforward. After our marriage, he went to Delhi alone and Didi was taking care of her parents in Kanpur and my house was 10 km away from Didi's house in Jalnagar.


Our neighbor Shirish uncle whom Didi and I knew since childhood was a very good friend of my father. At his house, he had his wife and a 12-year-old son and we used to play with him since childhood. Now I was 22 years old and Didi was 25 years old, it had been 5 years since our mother died.


It was December then and there was a lot of cold. Didi had come to our house from her in-laws for a few days. Shirish Chacha and his family and one of our relatives were going to come to our house. Khushboo Didi and I were both very fair, Didi was a little fat and her bra size was 36 and I was wearing a 34 bra.


When I was in college one day, suddenly I started feeling unwell and I had returned half way from college and I had come home and told my mother that I was not feeling well, Didi touched me and I had a fever, then we had lunch and then Didi called my father and when I told him, my father said that if it is Shirish Chacha or Aunty, go to them and get medicine and give me food.


So Didi had gone straight to her house and Chacha had opened the door and then Didi told me that Chacha himself had come to our house with the medicine and seeing them I had stood up straight then Chacha had given me the medicine and then I had slept with the sheet, then after some time they had closed the door of the room and they had gone out.

There are two rooms in our house, Didi and I were sleeping in one and my father was staying in the other.


I was trying to sleep for a long time but I was completely soaked with sweat and I was feeling very bad. I was also very thirsty, at first I thought that I would shout to Didi but then I thought that Didi was also sleeping in father's room, so I would get up and drink it myself.


Then I got up and started going towards the kitchen and I saw that Shirish Chacha's slippers were still near the door, when I looked inside, the door was completely closed and I could not hear any sound from it. I thought that uncle had forgotten his slippers and gone to his house.


Then my breathing increased when I thought of something else and then I slowly went closer to that room and I could hear some sounds from it, at first it was difficult to understand but then I understood that something was going on inside. There was no space in the door and I had put my ear completely to the door and I was completely shocked to hear what I had heard, uncle leave me, if you go to the small place…


Didi was alerting uncle by calling my name and then after some time both of them became silent. By this time my patience was starting to break and when I slowly opened the door, it also opened without making any sound. Then I saw inside that didi was standing against the wall in only saya and blouse and her saree was lying on the ground, right in front of her Shirish uncle was holding both of didi's shoulders.


Didi was standing like a statue, didi's breathing started increasing and her words were also going up and down. The attention of both of them was not towards me and the door.


Then after some time, Chacha started kissing Didi's neck and then Didi screamed but did not and she did not resist, he started kissing Didi's neck and then she removed her blouse from her shoulders and then he started kissing her shoulders with his mouth, then he sometimes touched her chest and then came inside her and started opening her hooks.


Now I was completely surprised to see that Shirish Chacha who was my father's age and Didi had been calling him Chacha since childhood and how did they both reach here and what lies are they doing?


Then I started seeing a white bra inside the blouse, then Chacha started kissing Didi's chest again, then Didi's hands went behind her and opened the hooks of her bra and her bra was also hanging.

I understood that Didi was doing this with Chacha knowingly.


Then Chacha slowly lifted her bra from the front and took Didi's naked lips in her hands and started pressing them, Didi was standing with her eyes closed and then Chacha said to her.


Chacha said that wow what a great lips you have, ahhh.


Chacha's mouth started sucking Didi's left lips.


Didi's voice started coming ah ho ahhh auu oh ahhh hmmmm oh ahhh auu of ahhh ammmm oh ahhh yess ahhh oh haha ​​ammmm.


Didi had held Chacha's shoulders and she kept making noise. Then Chacha had put his mouth on his left lips and started sucking them, and then Didi also took her lips in his hands and started putting them in his mouth. Then Chacha had drunk both of Didi's words with full interest.


Then he had grabbed Didi and taken her to the bed, and Didi had quickly fallen asleep, as if ready to be fucked, Chacha had removed his T-shirt and lungi and had come on top of Didi, then Didi had also started supporting him and started lifting her waist.


Then Chacha had pulled Didi's red panties from her legs and removed them, then I had seen that Chacha's penis was very big, Didi's nipples were wet and started shining.


Then Chacha had started moving his hands on Didi's pussy and Didi had started to moan and Chacha had spit a little and started to rub her pussy and put a finger inside.


Didi started screaming ah yes ahh auuu oh ahh hmmmm oh ahh auuu of ahh amamm oh ahh yess ahh oh.


Uncle took out his finger and put his mouth near her pussy and said wow what a great smell your pussy smells my dick is really hard.


Then he started licking her pussy and then he spit on his dick and then he started moving his dick up and down on Didi's pussy.


Didi ah yes ahhh ooo oh ah hmm oh ahhh ooo of ah ammm oh ah yesss ahhh oh ah yes ahhh ooo oh ah hmm oh ahhh ooo of ah ammm oh ah yes ahhh oh ah yes ahhh ooo oh ah hmm oh ahhh ooo of ah ammm oh Ahh yessssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssser

Then uncle, seeing Didi, slowly held the penis in his hand and put it inside her pussy and then slowly pushed it. Didi now started doing ah ho ahh auuu oh ahh hmmmm oh ahh auuu off ahh amamm oh ahh yess ahh oh ahh ho ahh auuu oh ahh hmmmm oh ahh auuu off ahh amamm oh ahh yess ahh oh.


Then she raised both her legs and opened them in the air and started letting the uncle enter inside her. Then the uncle started moving his waist vigorously and he put the penis inside Didi and she also started making noises. Then now both of them were doing ah ho ahh auuu oh ahh hmmmm oh ahh auuu off ahh amamm oh ahh yess ahh oh. Now Didi was also very excited and she was now holding Chacha and pressing her chest and moving her ass and taking his cock inside her and was also moaning.


Chacha had found heaven between Didi's two legs and now he was also starting to do ah ho ah ah au, then I don't know what happened Chacha had stopped for a while and he had taken the nearby sheet and put it on his body.


Then he was holding Didi hard and pounding inside her. Then Didi was closing her eyes and making noise and was enjoying it.


Then the sheet kept moving like this for 10 minutes and then everything stopped, I understood that their work was done. Then they separated after some time. Didi had gone to the other side and was sleeping and Chacha got up and started dressing his clothes and I also went to my room from there and Chacha had gone to his house.

Neighbor uncle made fun of Didi

हॅलो फ्रेंड्स, मी श्रीकांत 24 वर्षाचा महाविद्यालयीन तरुण आहे. मी आपल्या सर्वांना नुकत्याच घडलेल्या माझ्या आयुष्यातील एक सेक्स प्रसंग सांगत आहे. माझ्या घराशेजारीच एक 27 वर्षाच्या वहिनी राहतात. त्यांचं लग्न होऊन दोन अडीच वर्ष झालीत. त्या नेहमीच हसतमुख राहायच्या पण गेल्या काही दिवसापासून मला त्या उदास उदास दिसायला लागल्या होत्या. त्या नेहमीच माझ्या घरी गप्पागोष्टी करायला यायच्या. पण आज काल त्या घरी येत नव्हत्या. त्यांच्या सुंदर चेहरा वरील उदासी मला खटकत होती.


तिचं नाव मिताली होतं. ती एक सुशिक्षित ध्येयवादी तरुणी होती. माझा आणि तिच चांगलंच पटायचं. तिचे पती दिवसभर ऑफिसमध्ये राहायचे. एक दिवस मी तिच्या घरी गेलो. तिने मला आत घेतलं. मी तिला विचारलं, “वहिनी काय झालं काही दिवसांपासून मी बघत आहे तुमच्या हसत मुख चेहऱ्यावरील हास्य कुठेतरी गायब झाला आहे. सांगा ना काय झालं?” माझं एवढं आत्मीयता पूर्ण बोलणं ऐकून तिला हुंदका आवरला नाही. ती रडत बेडरूम मध्ये गेली. मी लगेच तिच्या पाठीमागे गेलो आणि तिच्या जवळ जाऊन बसलो. तिच्या खांद्यावर हात ठेवला आणि तिला विचारलं, “वहिनी सांगा ना काय झालं? मी काहीतरी मदत करू शकेल तुम्हाला ह्या उदासीतून काढण्यासाठी.” ती एकदम माझ्या गळ्यात हात घालून रडायला लागली. मी ही तिला मिठी मारली आणि तिच्या पाठीवर थोपटायला लागलो. मिताली वहिनीचे बुब्स माझ्या छातीला दबले होते. तिने साडी घातली होती. तिचा पदर खांद्यावरून खाली घसरला मला तिच्या ब्लाउज मधून तिचे बुब्स दिसले. तिचे गोरेपान आणि भरदार असे वक्ष बघून माझा लंड ताणला. तिच्या उघड्या पाठीवरून मी हात करत तिला शांत करायला लागलो.


ती थोडी शांत होताच आपलं दुःख माझ्याजवळ व्यक्त करायला लागली. ती म्हणाली- मला दिवसभर एकटी घरी बोर होते रे. माझा दिवस अजिबात संपत नाही. मला जॉब करायचा आहे पण माझे पती त्यासाठी नकार देत आहे.


मी तिच्या गालांवरील तिचे अश्रू पूसले आणि तिला म्हणालो, “रडू नका वहिनी. तुमचे दुःख मी समजू शकतो पण सध्या तरी तुम्ही घर बसल्या काम करता येईल असे जॉब बघावं आणि नंतर मात्र बाहेरही प्रयत्न करावा असच मी तुम्हाला सुचवत आहे. यावर ती म्हणाली, “मला सांगशील का मी घरून कुठे जॉब करू शकते तर?” मी म्हणालो, “हो नक्कीच. आज मी माहिती करून उद्याला तुम्हाला सांगतो म्हणजे तुम्हाला नक्कीच घरी कंटाळवाणं वाटणार नाही आणि तुमच्या शिक्षणाचा फायदाही होईल.

माझ्या या बोलण्यावर ती फार खूष झाली. तिने मला परत मिठी मारली आणि माझ्या गालांवर पप्पी दिली. मीही तिच्या गालांवर किस केला. ती म्हणाली, “थांब मी तुझ्यासाठी काहीतरी बनवते.” असं म्हणून ती किचनमध्ये गेली. मी तिला बाथरूम बद्दल विचारलं तर तिने मला बाथरूम मध्ये नेलं. मी बाथरूम मध्ये गेलो आणि आत मध्ये हलका व्हायला लागलो. तिथे खुंटीवर मला वहिनींचे अंतर्वस्त्रे दिसले. मी ते उचलून त्याचा सुगंध घेतला. ते बघून माझ लंड आणखी ताणला. काही वेळानंतर मी बाथरूम बाहेर आलो आणि किचन मध्ये गेलो. वहिनी माझ्याकडे बघत हसत होत्या. पण मला कळेच ना की त्या का हसत आहे म्हणून मी त्यांना विचारलं, “वहिनी काय झालं? तुम्ही का हसता आहात सांगा ना.”


त्यावर ती म्हणाली, “अरे तुझ्या पॅंटची चेन बघ. सर्व दिसतंय.” तिने असं म्हणताच मी बघितलं तर माझ्या पॅण्ट ची चेन उघडीच होती आणि माझा लंड त्यातून दिसत होता. मी ती चेन लाजत लावली आणि वहिनीला सॉरी म्हणायला लागलो. ती म्हणाली, “काळजी नको करू. मी नाही सांगणार कुणाला.” आम्ही दोघे आता चांगलेच फ्रेंडली झालो. ती मला म्हणाली, “अरे श्रीकांत तुझं लंड तर चांगलंच मोठा आहे रे!” मी वहिनीच्या तोंडून ते शब्द ऐकताच आ वासला. ती माझा चेहरा बघून परत हसायला लागली. मी त्यांना म्हणालो, “वहिनी परत एकदा म्हणा.”


वहिनी- अरे श्रीकांत तुझं लंड फार मोठा आहे रे. मी फार खूष झालो. मी त्यांना म्हणालो- तुम्हाला मोठा लंड आवडतात का? त्या म्हणाल्या- होना. मग मी म्हटलं- वहिनी तुमच्या पहिला लग्नाच्या रात्री बद्दल सांगा ना. यावर ती माझ्या डोक्यावर टपली मारत म्हणाली- काय हे? काय पण विचारतो! पण मी तिच्या मागेच लागलो तेव्हा ती म्हणाली, “बरं आज रात्री सांगते मी. आज माझे पती ऑफिसमधून येणार नाही आहेत तर तू ये जेवायला माझ्याकडे तेव्हा मी सांगते.” मी तयार झालो.


मग मी घरी गेलो आणि रात्र होण्याची वाट बघायला लागलो. रात्री आठ वाजता मी घरी मित्राकडे झोपायला जात आहे असे सांगत अंधाऱ्या वाटेने वहिनींच्या घरात दाखल झालो. वहिनींनी नाईट सूट घातला होता. त्यात त्या अतिशय मादक दिसत होत्या. मी त्यांना तसं सांगितलं. त्या म्हणाल्या, “हो का थांब. मी माझ्या अंगावर आणखी काहीतरी घेते. मला थंडी वाटत आहे. मी त्यांना म्हणालो, “थांबा ना वहिनी, आता गरमच तर व्हायचंय ना!”


मग आम्ही दोघेही जेवण केल्यानंतर बेडवर एकाच ब्लँकेटमध्ये लेटलो.

मी त्यांना विचारला, “हा वहिनी सांगा आता तुमच्या पहिल्या लग्नाच्या रात्रीचा अनुभव. ती- तू कधी सेक्स केला आहे का? मी- नाही ना वहिनी. वहिनी- मग तुला कसं कळणार मी जे सांगणार ते? मी तुला ते प्रात्यक्षिक करून दाखवते मग तर तुला कळेलच.


मला त्यांचा इशारा समजला. त्या माझ्याजवळ आणखी चिपकून बसल्या. माझा हात त्यांच्या बुब्सला स्पर्शत होता. त्यांच्या मांड्या माझ्या मांड्या लागत होते. त्यांचं बोलणं माझ्या कानात गुंजत होता. वहिनींच्या शरीराचा सुगंध मन भरून टाकत होता. तिने माझा चेहरा हातात पकडला आणि माझ्या ओठांवर चुंबन केलं. अगदी त्याच बरोबर मीही तिला अतिशय आतुरतेने चुंबन केलं. तिच्या बुब्सवर मी हात फिरवायला लागलो. मी ब्लॅकेट मधूनच तिची नाईटी वर केली आणि तिच्या शरीरावरून हात फिरवायला लागलो. वहिनीने नाईट सूटच्या खाली काहीच घातलं नव्हतं. ती पूर्ण नागडी होती. माझे हात तिच्या मांड्यांवरून तिच्या पुच्चीवरून फिरवायला लागलो. वहिनी सुस्कारली.


मी म्हटलं- वहिनी खूप मस्त वाटत आहे. वहिनीने माझा टी-शर्ट आणि जीन्स काढला. मीही आत मध्ये काहीच घातले नव्हत. वहिनी माझा लंड हातात धरून हलवायला लागल्या. मी त्यांचा पुच्चीत बोटं घालायला लागलो. त्यांचा नाईट गाऊन मी आता पूर्णपणे काढून घेतला. ब्लांकेटच्या खाली आता आम्ही दोघेही नागडे होतो. वहिनींचे बुब्स दाबत निप्पल्स चोखायला लागलो. लगेच मी ब्लॅंकेट बाहेर केली आणि वहिनींना उघडं बघितलं. अतिशय मादक शरीर होतं वहिनीचं.


वहिनी- श्रीकांत लवकर कर ना.. लवकर टाक. मी -वहिनी एवढी घाई कसली? वहिनी- अरे माझ्याकडून अजिबात राहावत नाही आहे. चोद ना मला. तसा मी त्यांच्या अंगावर लेटलो आणि त्यांच्या पुच्चीवर माझा लंड घासला. त्यांनी माझा लंड धरला आणि पुच्चीच्या छिद्रात ठेवला. वहिनी- श्रीकांत घाल आत मध्ये. सतवू नकोस. तसे मी एका झटक्यात माझा पूर्ण लंड तिच्या पुच्चीत घातला. ती चित्कारली. मी चार-पाच शॉट तिला मारले. तिचे नाजूक ओठ बघून मला माझा लंड तिच्या तोंडात द्यायची इच्छा झाली.


मी- वहिनी माझं लंड चूसा ना! वहिनी- अरे आधी माझ्या पुच्चीला शांत कर. मग म्हणशील ते करीन. त्यामुळे मी परत वहिनीला चोदायला लागलो. काही वेळ चोदल्यावर ती म्हणाली- श्रीकांत आता तू माझ्यावर उलटा लेट. तू माझी पुच्ची चाट आणि मी तुझा लंड चाटते. मी त्याप्रमाणे 69 पोझिशन घेतली आणि वहिनीचे आधीच ओली असलेली पुच्ची चाटायला लागलो.

वहिनींनी माझं लंड तोंडात घेतलं आणि त्या चूसायला लागल्या.


काही वेळ एकमेकांचं चुसल्यावर वहिनी डॉगिस्टाइल झाली आणि म्हणाली, “श्रीकांत मागून चोद आता मला.” मीही तिच्या मागे झालो आणि तिच्या गांडीवर हात ठेवत पुच्चीत लंड बसवला आणि तिची चुदाई करायला लागलो. तिची पुच्ची चांगलीच ओली झाली होती. आणि माझा लंड तिच्या चुदाई ने थरथरायला लागला होता. मी आता ऑर्गजम वर पोहोचलो होतो. मी तिला म्हटलं, “वहिनी माझे विर्य निघत आहे. ती म्हणाली, “माझ्या पुच्चीत घाल.” मी म्हणालो, ” आणि तुम्हाला बाळ झालं तर?” ती म्हणाली, “नाही होणार. मी नंतर गोळी खाऊन घेईल.”


त्यामुळे मी तिच्या पुच्चीवर मोठा धक्का देत माझे विर्य सोडलं. आम्ही दोघेही आता बेडवर नागडे पडलो. ती रात्र आम्ही तसेच नागडे झोपलो. मग दुसऱ्या दिवशी पहाटे मी त्यांच्या घरून बाहेर पडलो आणि फिरायला गेलो आणि दिवस उजाडल्यावर मी घरी परत आलो. त्यानंतर मी वहिनींची नेहमीच चुदाई करायला लागलो.

उदास वहिनीला खूश केलं

मसेक्स  कहानी के पिछले भाग में अपने पढ़ा की कैसे मैंने पहली बार अपने मकान मालिक की बीवी को देखा, और उसका दीवाना हो गया। फिर उसने मुझे नंगा देखा, और मेरा खड़ा लंड भी देख लिया। उसके बाद हमारी बातें हुई, और मैंने उसको चुनना शुरू किया। अब आगे-


फिर उसकी गर्दन को चाटना शुरू किया, और तभी मेरा हाथ उसकी कूल्हों पर आ गया। मैंने नोटिस किया कि उसने पैंटी नहीं पहनी थी, और मेरा लंड पूरा खड़ा होके उसकी लेगिंग्स के ऊपर से उसकी चूत पर सत्ता हुआ था। वो गरम एहसास उसकी चूत का फील हो रहा था मुझे।


अब मैं उसके स्तनों को दबा रहा था टी-शर्ट के ऊपर से, और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। फिर मैं उसके स्तनों को पीने लगा, और काटने लगा दांतों से। वो सिस्कारियां लेने लगी-


रेशमा: ऊऊह्म्म आआआह्ह्ह्ह खान, थोड़ा धीरे, दर्द हो रहा है म्म्म्म्म्म हाँ अम्म्म्म्म्म।


अब मैं उसके स्तनों को दबा रहा था टी-शर्ट के ऊपर से, और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। फिर मैं उसके स्तनों को पीने लगा, और काटने लगा दांतों से। वो सिस्कारियां लेने लगी-


रेशमा: ऊऊह्म्म आआआह्ह्ह्ह खान, थोड़ा धीरे, दर्द हो रहा है म्म्म्म्म्म हाँ अम्म्म्म्म्म।


वो बोल रही थी: खान मैं तुम्हें बेबी बुला सकती हूं?


मैंने बोला: तुम तो अपने स्तन चूसवा ही ली हो मुझसे, तो मैं तो तुम्हारा बेबी बन ही गया ना।


फिर वो बोलने लगी: बेबी मैंने हमें दिन तुम्हारा नंगा देखा था। उसी दिन से तड़प रही हूं। उस दिन मैंने वॉशरूम में तुम्हें इमेजिन करके फिंगरिंग की थी। ऊऊह, मुझे बहुत दिनो बाद आ रहा है आआह आआह आआहहह लग रहा है। धीरे-धीरे बेबी दांत मत काटो आआआह ऊऊईईईई ऊऊऊऊह ऊह ऊह बेबी धीरे-धीरे।


मैंने तभी उसके मुंह पर अपना मुंह रख दिया और उसकी सिसकियां बंद हो गयीं। तभी उसकी सास का कॉल आया कि कहां हो, और वो बोली-


रेशमा: बस आ रही हूँ. डोनो रेंटर को बोलने आई थी कि लाइट आज नहीं रहेगी (और कॉल काट दी)।


उसने मुझे बोला: बेबी बाकी कोई दिन और करेंगे।


फ़िर वो टी-शर्ट पहन के जाने लगी। मैंने हाथ पकड़ लिया उसका, और बोला: भाभी जी, ये किराया नहीं है. अब तेरे लंड को शांत करेगा, जो इतना देर से खड़ा है?


उसने बोला: खुद से कर लो.


तब मैंने बोला: बिना शांत किये तुम्हें जाने दूंगा नहीं।


तो उसने कहा: यार ऐसे मत करो। मैं जल्दी जाऊंगी.


मैने कहा: मैं कुछ नहीं जानता. बस करो, कुछ भी करो, लेकिन शांत करो इसे।


तभी उसने मोबाइल निकाला और अपनी सास को कॉल किया और बोली: अम्मी मैं उनसे कॉल पे बात कर रही हूं छत पर आके। आपको अगर कुछ जरूरी काम है तो मैं आती हूं नीचे।


तब उधर से सास ने बोला: ठीक है. बात करके आराम से आओ. कोई जल्दी नहीं (और कॉल कट कर दी रेशमा ने)।


मैंने बोला: वाह जान, इतना अच्छा दिमाग, वो भी मेरे लिए।


तो रेशमा ने बोला: तुम्हारे लिए कुछ भी।


फिर वो मेरे सामने अपनी टी-शर्ट उतारी, और मेरे नीचे बैठ गई। उसने अपनी शॉर्ट्स उतार दी, और मेरा लंड उसके सामने फैनफनाते हुए बाहर आ गया। फ़िर उसने अपने बाल बंधे क्लिप से। ओह वो क्या सेक्सी लग रही थी, एक-दम माल, और बाल बंद के एक-दम तय्यार मुँह में लेने को।


उसने धीरे से पहले मेरा लंड अपने हाथ में लिया, और धीरे-धीरे हाथ की मालिश देने लगी मेरे लंड को। 3-4 मिनट तक ऐसा करने के बाद मैंने कहा-


मैं: यार तुम बहुत बोरिंग हो. रहने दो, मैं खुद इसे अपना आप शांत कर लूंगा।


इतना बोला ही था कि उसने मुझे गुस्से में धक्का दे दिया बेड पे, और मेरा लंड एक झटके में अंदर अपने मुँह में ले लिया। फिर मस्त लॉलीपॉप की तरह चुनने लगी। आआह, क्या मजा आ रहा था.


एक दम सेक्सी रंडी की तरह चूस रही थी। फिर मैंने रेशमा के बाल पकड़े, और मुँह को लंड की तरफ ढकने लगा। इसे मेरा लंड पूरा उसके गले तक चला गया, जिसके उसकी आंख से आंसू आने लगे, और वो मेरे पेट पर अपना हाथ मारने लगी। तभी मैंने थोड़ा बाहर निकला, और वो ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी।


मैंने दर्द से साँस लेने दी। फिर मैंने मुँह चोदना शुरू किया, और हमें वक्त उसके मुँह से आवाज़ आ रही थी ऊऊ ऊऊ ऊऊ ऊह ययुग ययुग। ऐसा 5 मिनट और चला.


फिर मैं बोला: मेरा निकलने वाला है.


तो उसने बोला: इसलिए तो अपनी टी-शर्ट उतारी थी मैंने बेबी। निकल दो अपना माल मेरे बूब्ज़ पे।


तभी मैंने अपना सारा माल रेशमा के चुचो पे निकल दिया। उसने हमसे थोड़ा सा अपनी उंगली से स्वाद लिया, और बोली-


रेशमा: बेबी ये टेस्टी है.


फिर ऐसा बोल के वो वॉशरूम चली गई अपनी बॉडी क्लीन करने के लिए, और मुख्य बिस्तर पर लेटा रहा। उसने वॉशरूम में टिश्यू से मेरा पूरा माल साफ किया, और बाहर आई। फ़िर टी-शर्ट पहनने लगी, और बोली-

रेशमा: मैं जाती हूं, नहीं तो अब जल्दी जाऊंगी।


तभी मैं बिस्तर से उठा, और उसकी चूत के ऊपर हाथ रख दिया लेगिंग्स के ऊपर से हाय। उसकी चूत क्या मस्त गरम हो राखी थी। मैं चूत सहलाने लगा. तभी उसकी मुँह से आह आह की आवाज आई और वो बोली-


रेशमा: जाने दो जान, इसे मैं शांत कर लूंगी कैसे भी करके। तुम कल इसे मजे ले लेना.


तभी मैंने बोला: ऐसी कैसी रेशमा? इसपे तो हक मेरा हुआ ना. तुम मुझे शांत की, तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है तुम्हें ठंडा करना।


और मैं उसकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। रेशमा की सांसें भी तेज होने लगीं, और वो सिस्कारियां लेने लगीं ऊऊह आआआह आह अह्ह्हा हहाआ आई बाबू उम्म्म्म अम्म्म ऊऊऊ अह्ह्ह अहह। तभी मैंने उसकी लेगिंग्स नीचे की, जिसकी उसकी चूत दिखने लगी।


फिर मैंने अपनी मध्यमा उंगली और अनामिका उंगली उसकी चूत में डाल दी, जिसकी उसकी चीख निकल गई-


रेशमा: ऊह जान, आराम से, दर्द हो रहा है आआह आआह।


तो मैंने बोला: जान तुम्हारा एक बच्चा है, जो यहीं से पैदा हुआ है। तब भी इतना दर्द क्यों?


तो उसने सिस्कारियां लेते हुए ही बोला: जिसका मर्द 2 साल घर ना आए, उसका ऐसा ही हाल होता है जान। आज तुमने सारा मजा मुझे दे दिया।


उसके इतना बोलते ही मैंने बिस्तर पर ढकेल दिया, और अपनी जीभ उसकी चूत में लगा दी। फ़िर उसकी चूत में अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी सिस्कारियाँ निकलने लगीं, और उसने मेरा मुँह अपनी चूत में दबा दिया। इतने में ही उसने अपना माल छोड़ दिया, जो मेरे मुँह में चला गया।


मैं उसका माल अपने मुँह में रख के रेशमी के ऊपर चढ़ गया, और उसके होंठों से होंठ मिला दिये। फिर उसका सारा माल किस करते-करते उसने ही पिला दिया। आह क्या लग रहा था, मजा आ गया। अब वो 5 मिनट तक बिस्तर पर लेटी रही मेरे से चिपक के।


फिर वो बोली: जान तुमने आज मेरा दिल जीत लिया, और जिस्म भी।


फ़िर लास्ट किस करके लेगिंग्स ऊपर की, टी-शर्ट पहननी, और अपना फेस क्लीन करके बाहर जाने लगी।


वो बोली: मिलते हैं बहुत जल्दी.


अब वो चली गई और मेन गेट का ताला करके बेड पर आके सो गया। मेरी नींद खुली मेरे ऑफिस घंटे से 1 घंटे पहले। मैं तैयार हो गया जब शाम को ड्यूटी के लिए निकलने लगा, तो मैंने देखा कि एक पेपर मेरे फ्लैट के दरवाजे से अंदर आया था। मैंने उसे उठाया तो देखा कि उसका नंबर और तुम्हारा प्यार करके लिखा हुआ था। मैं समझ गया कि ये रेशमा का नंबर था।


मैं अब ऑफिस के लिए निकल गया, और कैब में बैठकर रेशमा के नंबर पर कॉल किया। उसने उधर से मेरा नंबर ट्रू कॉलर पे देख लिया था, और कॉल उठाते ही उसने बोला-


रेशमा: हाय बेबी.


मैंने बोला: कैब में हूं, ऑफिस जाके ब्रेक में मैसेज करता हूं।


मेरा ब्रेक टाइम रात के 1 बजे से 2 बजे तक था। रुको करते-करते आखिरकार उसने 11 बजे कॉल किया, और मैंने बोला कि 1 बजे कॉल आती है। रेशमा ने कहा ठीक है. फिर मैंने 1 बजे उसको डायरेक्ट कॉल की, और उसने 1 रिंग में ही कॉल उठा ली।


वो बोली: और तड़पाओ मुझे. ये सही नहीं है.


मैंने बोला: जान ऑफिस में हूं मैं. ये ड्यूटी के मुझे पैसे मिलते हैं।


तभी रेशमा ने कहा: इधर की ड्यूटी करोगे तो डेली छुट्टी मिलेगी।


फिर मैंने कहा: सब बोलने की बात है।


तब उसने गुस्से में कहा: ठीक है कल तुम्हें डेमो देती हूं (और बोल के गुस्से में कॉल कट कर दी)।


फिर मैंने अगला कॉल किया टुरेंट तो उसका फोन ऑफ आने लगा। मैं समझ गया कि बंदी का अहंकार हर्ट कर दिया मैंने। अब मुझे जो चाहिए वो डेली मिलेगा। मुख्य नियमित समय की तरह 8 बजे कमरे पर पहुंच गया, और ताजा होके मुख्य बिस्तर पर लेट गया। टैब 9 बज रहे थे. तभी मैंने मैसेज किया-


मैं: क्या हुआ? सब बोलने वाली बात है रेशमा.


तो उसका मैसेज आया: आ रही हूं जान. ससुर जी बेटे को स्कूल से लाने जाएंगे 10 मिनट में, और मैं अम्मी को चाय देके ऊपर कॉल के बहाने आ रही हूं।


अगला क्या हुआ? दोबारा मेरे फ्लैट में रेशमा ने मुझे कैसे डोमिनेट किया, और उसकी कल्पनाएँ कैसी-कैसी थीं। वो अगले हिस्से में पढ़ेंगे। यहां तक ​​कि कहानी की प्रतिक्रिया जरूर दे।

मकान मालिक की बीबी 2