पुणे में दिसंबर की एक ठंडी रात थी। हवा ठंडी और शांत थी। स्मिता, एक 26 वर्षीय गोरी और सेक्सी ननद, अपने पति के बड़े भाई के साथ रहने आई थी। उसका पति राहुल बिज़नेस ट्रिप पर मुंबई गया था, और स्मिता अपने बड़े भाई विशाल के साथ रहने आई थी। विशाल, एक 32 वर्षीय हट्टा-कट्टा और खूबसूरत आदमी, अपने गठीले शरीर और गहरी आवाज़ के लिए गलियों में मशहूर था। स्मिता हमेशा से विशाल के मर्दाना व्यक्तित्व और गंभीर आँखों की ओर आकर्षित थी, लेकिन उसने कभी इस आकर्षण का खुलकर इज़हार नहीं किया था। लेकिन उस रात, सब कुछ बदल गया। उस रात स्मिता ने एक टाइट लाल टॉप और छोटी स्कर्ट पहनी हुई थी, जिससे उसकी गोरी जांघें और उभरे हुए अंडकोष और भी सेक्सी लग रहे थे। रात के खाने के बाद, दोनों लिविंग रूम में बैठकर टीवी पर फिल्म देख रहे थे।
फिल्म में एक हॉट सीन आया, और स्मिता ने शरारत से विशाल को देखा। "जेठजी, क्या आपको ऐसी हॉट चीजें पसंद हैं?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा। विशाल ने गहरी साँस ली और उसकी तरफ देखते हुए कहा, "स्मिता, तुम इतनी हॉट लग रही हो कि तुम्हें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो रहा है।" स्मिता की साँस एक पल के लिए रुक गई। उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी, और उसने अपने टॉप का नेकलाइन थोड़ा नीचे कर दिया, जिससे उसकी क्लीवेज दिखने लगी। "जेठजी, अगर इतना दिल है, तो पास क्यों नहीं आते?" उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज़ में मादक उत्तेजना का एक संकेत था। विशाल की आँखों में एक बेतहाशा भूख भड़क उठी। वह सोफ़े पर स्मिता के करीब गया और अपना मज़बूत हाथ उसकी जांघ पर रख दिया।
उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे स्मिता की योनि तक पहुँचीं, और स्मिता के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई।
"स्मिता, क्या तुम सच में यही चाहती हो?" विशाल ने अपनी गहरी आवाज़ में पूछा, लेकिन स्मिता ने जवाब देने के बजाय अपने होंठ विशाल के होंठों से मिला दिए। उनका चुंबन इतना गहरा और जोशीला था कि कमरे की हवा गर्म हो गई। स्मिता की जीभ विशाल की जीभ से उलझ गई और उसने अपने हाथ विशाल की टी-शर्ट के बटनों पर रख दिए। "जेठजी, मुझे आपके लंड की सवारी चाहिए... आज रात आप मेरी चूत चोद सकते हैं," स्मिता ने बिना किसी समझौते के कहा, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
विशाल ने झटपट स्मिता का टॉप उतार दिया। स्मिता का गोरा बदन काली ब्रा और पैंटी में चांदनी में चमक रहा था। विशाल ने अपनी टी-शर्ट और जींस उतार दी और उसका सख्त, मोटा लंड स्मिता के सामने था। स्मिता की नज़रें उसके लंड पर टिकी थीं और उसने अपने होंठ चाटे। "जेठजी, आपका लंड बिल्कुल वैसा ही है जैसा मैंने सपना देखा था," उसने मुस्कुराते हुए कहा और उसका लंड अपने हाथ में ले लिया। उसकी उंगलियाँ विशाल के लंड को सहलाने लगीं और वह धीरे-धीरे उसे अपने मुँह में लेने लगी।
"आह... स्मिता, तुम्हारा मुँह तो स्वर्ग है," विशाल ने फुसफुसाया। स्मिता ने अपने होंठ विशाल के लंड के सिरे पर रख दिए और उसकी जीभ उसकी नसों पर नाचने लगी। विशाल के हाथ स्मिता के अंडकोषों पर गए और उसने उसकी ब्रा उतार दी। स्मिता के सख्त निप्पल अब विशाल के मुँह में थे और वह उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। स्मिता की सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं, "जेठजी... आह... मेरी चूत को छुओ... इसे गीला कर दो।"
विशाल ने स्मिता की पैंटी उतार दी और उसकी चिकनी, गीली चूत उसके सामने थी। उसने अपनी उंगलियाँ स्मिता की चूत पर फिराईं और उसका रस उसकी उंगलियों पर चिपक गया। "तुम्हारी चूत तो पहले से ही टपक रही है, स्मिता," विशाल ने कहा और उसने अपनी जीभ स्मिता की चूत के सिरे पर रख दी। स्मिता चीखी, "आह... जेठजी, मेरी चूत को चाटो... और ज़ोर से!" विशाल की जीभ अब स्मिता की चूत में गहराई तक चली गई और उसका रस उसके मुँह में बह रहा था। स्मिता की टाँगें काँप रही थीं और वह विशाल के बाल ज़ोर-ज़ोर से खींच रही थी।
स्मिता ने विशाल को सोफ़े पर धकेल दिया और उसकी टाँगें फैलाकर उसके ऊपर बैठ गई। उसने विशाल का लंड अपनी चूत पर रगड़ा और धीरे-धीरे उसे अंदर ले लिया। "आह... जेठजी, आपका लंड मेरी चूत फाड़ रहा है," वो सिसकारी भरकर बोली। विशाल ने स्मिता की गांड पकड़ ली और उसे ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे करने लगा। हर धक्के के साथ, स्मिता की चूत विशाल के लंड को निगल रही थी और उनकी चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। स्मिता के अंडकोष हवा में उड़ रहे थे और विशाल उन्हें अपने हाथों में भींच रहा था।
"चोद लो जेठजी... मेरी चूत रगड़ो," स्मिता चिल्लाई और विशाल ने अपनी गति बढ़ा दी। उसका लंड स्मिता की चूत में गहराई तक जा रहा था और स्मिता की सिसकियाँ अब चीखों में बदल गई थीं। विशाल ने स्मिता को पलट दिया और उसे डॉगी स्टाइल में लिटा दिया। उसने स्मिता की गांड पर थप्पड़ मारा और कहा, "तुम्हारी सेक्सी गांड... मैं भी इसे चोदना चाहता हूँ।" स्मिता मुस्कुराई और बोली, "मेरी गांड चोदो जीजाजी... आज ये पूरी तरह तुम्हारी है।"
विशाल ने अपनी उंगलियाँ स्मिता की चूत के रस से गीली कीं और उसकी कसी हुई गांड में डाल दीं। स्मिता कराह उठी, लेकिन उसने अपनी गांड और पीछे कर ली। विशाल ने अपना लंड स्मिता की गांड के छेद पर रखा और धीरे से अंदर धकेल दिया। "आह... जेठजी, आपका लंड मेरी गांड फाड़ रहा है!" स्मिता चीखी, लेकिन उसकी आवाज़ में एक सुखद एहसास था। विशाल ने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ा दी और उसका लंड स्मिता की गांड में अंदर-बाहर होने लगा। स्मिता की चूत से रस टपक रहा था और उसकी गांड विशाल की जांघों से टकरा रही थी।
उनका सेक्स अब अपने चरम पर था। स्मिता ने विशाल को फिर से पलट दिया और उसकी गोद में बैठ गई। उसने अपने अंडकोष विशाल के मुँह में ठूँस दिए और बोली, "चोख अरे, जेठजी... मेरे निप्पल काटो!" विशाल ने स्मिता के निप्पल को अपने दांतों से हल्के से काटा और स्मिता चीख पड़ी। उसने अपनी चूत को विशाल के लंड पर ज़ोर से रगड़ा और हर धक्के के साथ उसकी चूत और गीली होती जा रही थी। विशाल की साँसें अब तेज़ हो रही थीं और उसने स्मिता की गांड को कस कर पकड़ लिया।
"स्मिता, मैं झड़ने वाला हूँ... तुम्हारी चूत से मेरा वीर्य निकल रहा है," विशाल फुसफुसाया। स्मिता ने अपनी गति बढ़ा दी और बोली, "मेरे अंदर ही झड़ जाओ, जेठजी... मुझे तुम्हारा गरम रस चाहिए!" विशाल ने ज़ोर से धक्का मारा और उसका गरम रस स्मिता की चूत में भर गया। स्मिता उसी पल झड़ गई और उसकी चूत का रस विशाल के लंड पर बहने लगा। दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे की बाहों में गिर पड़े, उनके शरीर पसीने और रस से चिपचिपे हो गए थे।
उस रात के बाद, स्मिता और विशाल के रिश्ते ने एक नया मोड़ ले लिया। जब भी स्मिता अपने जेठजी से मिलती, उनकी आँखें एक-दूसरे को वीर्यपात करने के लिए उकसा देतीं। विशाल की मज़बूत बाँहें और उसका मोटा लंड स्मिता के लिए लत बन गया था। अगली सुबह, जब स्मिता रसोई में कॉफ़ी बना रही थी, विशाल ने पीछे से उसकी कमर पकड़ ली और फुसफुसाया, "कल रात की चुदाई तो बस शुरुआत थी, स्मिता।" स्मिता मुस्कुराई और बोली, "जेठजी, मेरी चूत अभी भी आपके प्यार की प्यासी है।"
उनकी चुदाई की वो रात उनके बीच एक राज़ बन गई। जब भी घर में सन्नाटा छा जाता, उनकी साँसें फिर से गर्म हो जातीं। स्मिता की चूत और विशाल का लंड एक-दूसरे के लिए बने थे, और उनकी चुदाई की कहानी हर रात एक नया रंग ले लेती थी।





